जब रेशम कीट को रेशम प्राप्त करने के लिए उद्योग की तरह पाला जाता हैं तो उसे सेरी कल्चर कहते हैं।
पवित्र धार्मिक पौधा
भारतीय समाज में तुलसी का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। हिंदू संस्कृति में इसे सबसे पवित्र पौधा माना जाता है। अधिकांश घरों में इसे प्रतिदिन पूजा जाता है।
जब रेशम कीट को रेशम प्राप्त करने के लिए उद्योग की तरह पाला जाता हैं तो उसे सेरी कल्चर कहते हैं।
तुलसी की उत्पत्ति ?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देव और दानव द्वारा किए गए समुद्र मंथन के समय जो अमृत धरती पर छलका, उसी से तुलसी की उत्पति हुई।
जब रेशम कीट को रेशम प्राप्त करने के लिए उद्योग की तरह पाला जाता हैं तो उसे सेरी कल्चर कहते हैं।
लक्ष्मी जी का वास
हिंदुओं में मान्यता है कि जिस घर में तुलसी की पूजा होती है। देवी लक्ष्मी उसे छोड़ कर नहीं जाती। इसलिए घर के आंगन में तुलसी को लगाया जाता है।
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शुभ तिथियों का आरंभ
तुलसी भगवान विष्णु (शालिग्राम) से संबंधित है। तुलसी से भगवान विष्णु के विवाह की परंपरा है। तुलसी विवाह से शुभ कार्यों को करने की तिथियों का आरंभ होता है।
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देव प्रिय तुलसी
विष्णु और कृष्ण भगवान तुलसी पत्र के बिना नैवेद्य स्वीकार नहीं करते। हनुमान जी को भी तुलसी का भोग लगाया जाता है।
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औषधीय गुणों से भरपूर
चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में तुलसी का वर्णन है। तनाव, अल्सर, उच्च रक्तचाप, ट्यूमर आदि में उपयोगी है। पेट के लिए अमृत समान और वजन कम करने सहायक है।
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त्वचा के लिए लाभकारी
ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने में सहायक होने और एंटी ऑक्सीडेंट गुणों से युक्त होने के कारण त्वचा के लिए लाभकारी है। एजिंग रोक कर ग्लो बनाए रखती है।
जब रेशम कीट को रेशम प्राप्त करने के लिए उद्योग की तरह पाला जाता हैं तो उसे सेरी कल्चर कहते हैं।
त्वचा के लिए लाभकारी
इसमें पाए जाने वाले एंटी बैक्टिरियल, एंटी वायरल और एंटी फंगल तत्त्व त्वचा की गहराई तक जाकर सफाई करते हैं जिससे पिंपल्स, एक्ने समाप्त हो जाते हैं।
जब रेशम कीट को रेशम प्राप्त करने के लिए उद्योग की तरह पाला जाता हैं तो उसे सेरी कल्चर कहते हैं।
बालों के लिए लाभकारी
तुलसी की पत्तियां हेयर फॉलिकल्स को फिर से सक्रिय कर बालों को झड़ने व असमय सफेद होने से बचाती हैं। बालों की जड़ों को मजबूत बनाती हैं।
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पोषक तत्त्वों से भरपूर
तुलसी विटामिन और खनिजों का भंडार है। इसमें मुख्य रूप से विटामिन सी, कैल्शियम, जिंक, आयरन, क्लोरोफिल, साइट्रिक, टाइट्रिक आदि होते हैं।
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मृत्यु के समय तुलसी
हिंदुओं में प्राण त्यागते मनुष्य के मुख में तुलसी की पत्तियों के रखने की परंपरा है क्योंकि ये कफ हटाकर श्वसन क्रिया व बोलने में रुकावट समाप्त कर देती है।
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तुलसी विवाह की परंपरा
अधिक सर्दी से तुलसी मर जाती है। इसीलिए तुलसी विवाह कराकर चुनरी डालने की परंपरा पड़ी होगी। अधिकांश जनता अनपढ़ थी, इसलिए इसे धर्म से जोड़ दिया होगा।