सनातन धर्म को हिंदू / आर्य / वैदिक कहना ठीक क्यों नहीं ?
प्राचीनतम धर्म
सनातन धर्म संसार का प्राचीनतम धर्म है। चूंकि 1000 वर्ष पहले हिंदू धर्म प्रचलन में नहीं था। इसीलिए प्राचीन काल के सनातन धर्म को ही हम आज हिंदू धर्म से जानते हैं।
शाब्दिक अर्थ
सनातन का शाब्दिक अर्थ है शाश्वत या हमेशा बना रहने वाला, कालातीत यानी जो समय के साथ बदले नहीं। जिसका न कोई आदि है न अंत, परंपरानुसार, स्थाई, अनंत, अमर, लगातार।
साकार व निराकार
सनातन परंपरागत वैदिक धर्म है जिसमें परमात्मा को साकार व निराकार दोनों रूप में पूजा जाता है।
उपनिषद : सशक्त आधार
वेदों पर आधारित धर्म कई उपासना पद्धतियां, मत, संप्रदाय, दर्शन समेटे हुए है। कर्मकांड परिवर्तनशील हैं इसलिए सनातन नहीं हो सकते। सनातन धर्म का मजबूत आधार उपनिषद है।
जीवन का मार्ग
सनातन धर्म, धर्म से अधिक जीवन का मार्ग है। सनातन धर्म को किसी इंसान ने नहीं बनाया, इसलिए वह मिट नहीं सकता।
ज्ञान पर आधारित धर्म
विश्व में केवल सनातन धर्म ही ज्ञान पर आधारित धर्म है। एकमात्र हिंदू धर्म या सनातन धर्म ही ऐसा है जो समय-समय पर अपने नियमों की समीक्षा करके उसमें सुधार करता आया है।
एक पर आधारित नहीं
जितने भी अन्य धर्म हैं, वो एक सीमित दायरे में हैं और बंद हैं, क्योंकि उनमें एक व्यक्ति, एक ग्रंथ है, किंतु सनातन धर्म एक व्यक्ति, एक ग्रंथ, एक संगठन पर आधारित नहीं है।
हम कट्टर क्यों नहीं?
हिंदू धर्म असीमित व खुला हुआ है। ये विचार से नहीं, विवेक से विकसित हुआ है। अन्य धर्मों के अनुसार समय व विवेक अपरिवर्तित रहता है। इसलिए उनमें वैचारिक कट्टरता पाई जाती है।
ईश्वर अजन्मा है
वेद कहते हैं कि ईश्वर अजन्मा है, उसे जन्म लेने की आवश्यकता नहीं है। उसने न कभी जन्म लिया है और न ही लेगा। ईश्वर एक ही है, लेकिन देवी, देवता व भगवान अनेक हैं।
एक ईश्वर की उपासना
सनातन धर्म में उस एक ईश्वर को लेकर नियम, पूजा, यज्ञ, विधियां, दर्शन, कर्मकांड आदि का पालन सनातन धर्म में किया जाता है।
मूल में सत्य
सनातन धर्म में मनसा, वाचा, कर्मणा के सिद्धांत का बहुत मूल्य है। मन, वाणी तथा कर्म एक जैसे होने चाहिए। इसमें भिन्नता को मिथ्या आचरण कहा गया है। सनातन धर्म के मूल में सत्य है।
ग्रंथ व प्रतीक
सनातन धर्म में वेद, उपनिषद, पुराण, रामायण, महाभारत, गीता, रामचरित मानस आदि का बहुत महत्व है। साथ ही ओह्म और स्वास्तिक जैसे प्रतीक सनातन धर्म में प्रयोग किए जाते हैं।
वैदिक धर्म कहना ठीक नहीं
क्योंकि सनातन धर्म वेदों से पहले भी था। सनातन धर्म के प्रामाणिक पुरातात्विक प्रमाण जैसे रूद्र, मदर गॉडेस, बुल सील सिंधु सभ्यता से ही मिलने लगते हैं।
आर्य धर्म कहना भी ठीक नहीं
हिंदू धर्म को आर्य धर्म कहना भी ठीक नहीं क्योंकि आर्य का अर्थ है श्रेष्ठ, शिक्षित व सुसंस्कृत व्यक्ति और हिंदू का अर्थ है हिंदू धर्म का पालन करने वाला व्यक्ति।
हिंदू धर्म कहना ठीक नहीं
क्योंकि 1000 वर्ष पहले हिंदू शब्द प्रचलन में नहीं था, जबकि सनातन धर्म हजारों साल से है।इसलिए हिंदू धर्म को सनातन धर्म से ही संबोधित करें।
धर्म नहीं जीवन शैली
सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुत्व को मजहब या पंथ जैसा नहीं माना, तत्कालीन चीफ जस्टिस जे एस वर्मा के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने कहा था कि हिंदू धर्म नहीं , बल्कि जीवन शैली है।