आइए परखें धन की महत्ता को 

महत्ता 

अधिकांश लोगों के लिए जीवन के लिए धन नहीं, धन के लिए जीवन हो गया है। 

धन के लिए जीवन

हमारे जीवन में धन की महत्ता उतनी ही है जितनी गाड़ी में पेट्रोल की। न उससे ज्यादा, न उससे कम। 

पेट्रोल जितनी

बगैर ईंधन गाड़ी चल नहीं सकती, लेकिन हम पेट्रोल भरने के लिए गाड़ी नहीं खरीदते। 

बगैर ईंधन

धन के अलावा जीवन में खुशियां, स्वास्थ्य, शांति, संबंध, सम्मान भी जरूरी है। 

धन के अलावा

जीवन का मुख्य मकसद है खुश रहना और इसके लिए थोड़े से धन की ही आवश्यकता पड़ती है। 

मुख्य मकसद

अधिकांश मुख्य मकसद को छोड़कर मूर्खों की तरह धन के पीछे बेतहाशा अंतहीन भागते रहते हैं। 

अंतहीन दौड़

ऐसा इसलिए है क्योंकि समाज में ज्यादातर लोग किसी को जज करते हैं  तो उसके धन को या पद को देखकर। 

जज

ये ऐसा ही है कि चाय न देखकर महंगा कप देखा जाए। चाय अगर बढ़िया हो तो उसे सस्ते कप में भी एंजॉय किया जा सकता है। घटिया हो तो महंगे कप में भी मजा नहीं आयेगा। 

चाय