चरण सिंह का जन्म एक जाट परिवार मे 23 दिसम्बर,1902 को हुआ था। कांग्रेस के लौहर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव पारित हुआ था, जिससे प्रभावित होकर युवा चौधरी चरण सिंह राजनीति में सक्रिय हो गए।
पद
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, भारत के गृहमंत्री व प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा की। वे आपातकाल के विरोध में डटकर खड़े रहे। लोकतंत्र के प्रतीत हमेशा प्रतिबद्ध रहे।
फोकस
वे सारे जीवन गांवों और किसानों की समस्याओं को सुलझाने में लगे रहे। सारे जीवन किसान कल्याण में लगे रहने के कारण किसान समुदाय का उनसे भावनात्मक लगाव है।
किसान आंदोलन
2020 में किसान आंदोलन ने बड़ा रूप ले लिया था। पश्चिमी यू पी, हरियाणा,पंजाब के लाखों किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर घेरा डाल दिया था।
कृषि कानून वापिस
एक साल चले किसान आंदोलन के बाद मोदी सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापिस ले लिया था। किसान जत्थे वापिस लौट गए थे। पर किसानों व जाटों में कसक बनी हुई थी।
नया युग
यह फैसला किसान व जाट समुदाय को साधने की कवायद है। चरण सिंह को भारत रत्न देकर व उनके पोते जयंत को साधकर भाजपा ने किसान व जाट राजनीति के एक नए युग की शुरुआत कर दी है।
लगाव
चौधरी साहब का यूपी की सियासत पर गहरा प्रभाव है। हरियाणा, राजस्थान, पंजाब समेत देश के कई राज्यों में किसान समुदाय और जाट उनसे भावनात्मक लगाव अनुभव करते रहे हैं।
हकदार
लोकसभा के चुनाव का बिगुल बजने वाला ही है। निसंदेह इन फैसलों का राजनीतिक फायदा सत्ताधारी दल की अवश्य मिलेगा। ये तीनों भारत रत्न के हकदार थे। अन्य दल इनको यह क्यों नहीं दे पाए।