घबराएं नहीं, आइए पहले यह जान लेते हैं कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम कोई बीमारी नहीं है, पर एक ऐसी स्थिति है जिससे एक साथ कई रोगों के होने का खतरा बढ़ जाता है।
मेटाबॉलिज्म
शरीर में चौबीसों घंटे होने वाली वो रासायनिक प्रक्रिया है जो भोजन के पोषक तत्त्वों को ऊर्जा में बदलने का कार्य करती है। रक्त संचार, सांस आदि मेटाबॉलिज्म पर निर्भर हैं।
सही
सही मेटाबॉलिज्म है तो व्यक्ति ऊर्जावान और सक्रिय अनुभव करता है। चूंकि शरीर भोजन को तुरंत ऊर्जा में बदलता है,इस कारण शरीर में वसा जमा नहीं होती और मोटापा नहीं बढ़ता।
धीमा
धीमा होने पर थकान व ऊर्जा की कमी का अनुभव । बी पी, मोटापा, गैस, अपच आदि अनेक रोग स्लो मेटाबॉलिज्म की ही देन हैं।
सिंड्रोम के लक्षण
शुरू में लक्षण महसूस नहीं होते। अनेक सूचक है मोटापा, घबराहट, तेज धड़कन, अधिक प्यास व पेशाब, थकान, सांस फूलना, कब्ज, नींद में कमी, अनियमित माहवारी ,पी सी ओ डी आदि।
इलाज
ऐसे लक्षण होने पर डॉक्टर बी पी, फास्टिंग शुगर, एचबीए 1 सी, लिपिड प्रोफाइल आदि के जांच कराकर उसके आधार पर इलाज की प्रक्रिया प्रारंभ करते हैं।
अगले अंक में
अगले अंक में जानिए क्यों होता है मेटाबॉलिक सिंड्रोम ?