संकटग्रस्त गोडावण क्या हैं बचाव के उपाय ?  (भाग तीन)

संकट

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 9सी के तहत गोडावण संकटग्रस्त प्रजातियों की प्रथम श्रेणी में शामिल हैं।

रेड बुक

इंटरनेशनल यूनियन ऑफ कंजर्वेशन ऑफ नेचर की संकटग्रस्त प्रजातियों पर प्रकाशित होने वाली रेड डाटा बुक में इन्हें गंभीर रूप से संकटग्रस्त पक्षियों में रखा गया है।

डब्ल्यू आई आई

भारतीय वन्य जीव संस्थान ने 4200वर्ग किमी. में फैले थार रेगिस्तान के अध्ययन में पाया कि यहां हर साल  गोडावण ही नहीं 88000 अन्य परिंदे भी मारे जा रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट

डब्ल्यू आई आई के अध्ययन के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने 19अप्रैल 2021 को गोडावण पक्षी के विचरण क्षेत्र की हाई टेंशन लाइनों को भूमिगत करने का निर्देश दिया।

बर्ड डाइवर्टर

भूमिगत होने में देरी के अंदेशों के कारण सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया  जब तक ये भूमिगत नहीं हो जाती हैं तब तक हाई टेंशन लाइनों पर बर्ड डायवर्टर लगाए जाएं।

आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में 104 किमी. लंबी हाई टेंशन लाइनों को भूमिगत करने और 1238 किमी. लंबी हाई टेंशन लाइनों पर बर्ड डायवर्टर लगाने का आदेश दिया था।

अगले अंक में 

बर्ड डाइवर्टर क्या होते हैं? इनके लगने के बाद गोडावण की मौतों का सिलसिला जारी क्यों ?

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