दायित्व बोध के कारण शौकिया जन्नत नर्सरी

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दायित्व बोध के कारण शौकिया जन्नत नर्सरी

परिचय

मैं संजय हूं। 2003 में सहयोगी एंटरप्राइज प्राइवेट लिमिटेड के नाम से चिनहट इंडस्ट्रियल एरिया में टेल्को के पास लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत में हमने एक फैक्ट्री स्थापित की थी। दो और कंपनियां कार्यशील हैं बॉन प्रोडक्ट्स और पीपल्स पार्टिसिपेशन पब्लिकेशन

Table of Contents

सामाजिक दायित्वबोध के कारण शौकिया जन्नत नर्सरी शुरू 

थोड़ी सी व्यावसायिक स्थिरता पाने के बाद ये लगा कि कोई शौकिया काम किया जाए जो समाजोपयोगी भी हो। समाज के प्रति इसी दायित्व बोध के कारण एक नर्सरी भी जन्नत नर्सरी के नाम से  2014 में शुरू की जिसमें हमने पेड़ पौधों, हरियाली, प्रदूषण मुक्ति, पर्यावरण, प्रकृति के लिए सक्रिय कार्य करना आरंभ किया।

पेड़ पौधों के प्रति मुझे बचपन से ही एक आकर्षण रहा है। शायद यह शौक बचपन में बड़े बड़े ऐसे सरकारी बंगलों में रहने से पनप गया जिनमें ढेर सारे तरह तरह के पेड़ पौधे होते थे।

शौकिया नर्सरी शुरू Sanjay Blogger)img

क्या देते हैं पेड़ पौधे हमें ?

ये खाद्य, फल, फूल, लकड़ी, सुगंध, सौंदर्य, हरियाली जैसी ढेरों अमूल्य चीजें के साथ हमें जिंदा रहने के लिए अनिवार्य प्राण वायु ऑक्सीजन देते हैं और प्रदूषण रोकते हैं। हमारा पूरा जीवन इन पर निर्भर है। ये नहीं तो जीवन संभव ही नहीं।

क्या देते हैं पेड़ पौधे हमें Sanjay Blogger)img

पेड़ पौधों से मिलने वाली सीख

अब वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित है कि पेड़ पौधों में भी हमारी तरह जान होती है। पेड़ पौधे हमें सिखाते हैं कि जीवन में संतुलन कैसे बनाए रखें। ये चुपचाप शोर किए बिना जमीन जमीन के अन्दर मजबूती से बढ़ते जाते हैं और इसके साथ ही आसमान की ओर भी बढ़ते रहते हैं। सदैव प्रसन्न भाव से झूमते रहते हैं और देने की मुद्रा में रहते हैं,बल्कि कहें कि सर्वस्व न्यौछावर की मुद्रा के भाव में रहते हैं। अमीर गरीब में भेदभाव नहीं करते। पूरी सामाजिक समरसता है पेड़ों की दुनिया में। अमन पसंद हैं क्योंकि आंधी तूफान में गिर जाते हैं।धरती मां सूनी सूनी रहती अगर उसके आंगन में ये हरे भरे पेड़ पौधे न होते।

पेड़ पौधों पर मंडराते खतरे एवं समस्याएं

पेड़ पौधों से मोहब्बत थी इसलिए इन पर मंडराते खतरे आहत कर रहे थे। पेड़ पौधों से जुड़ी अनेक समस्याएं हमें लंबे समय से परेशान कर रहीं थी ।इन्हीं से निपटने के लिए नर्सरी खोली। कुछ समस्याएं ये हैं।

पेड़ पौधों पर मंडराते खतरे Sanjay Blogger)img

पेड़ पौधों के प्रति हमारा व्यवहार

पेड़ पौधों के प्रति लोगों का व्यवहार आहत करता है। मैं देख रहा हूं लोग अपने कुत्ते के लिए बड़ी आसानी से हजारों का डॉग फूड्स खरीद लेते हैं पर पेड़ पौधों को सामान्यतया पानी के अलावा कुछ नहीं देते जबकि सब ये जानते हैं कि पेड़ पौधों में भी जान होती है।

सरकार से चाह

लोग पेड़ पौधे चाहते तो हैं पर उसके लिए धन व श्रम लगाना नहीं चाहते।वो यह चाहते हैं कि हमारे नंबर सामने को छोटा सा पार्क भी सरकार ही मेंटेन करे।

धन के पीछे अंधी दौड़ में प्राण वायु तक पर ध्यान नहीं

बहुत से लोग भागम भाग में इस कार्य पर ध्यान नहीं देते। धन के पीछे बेतहाशा दौड़ के दौर में क्या आपको घर की प्रदूषण मुक्त प्राण वायु के बारे में दो पल नहीं सोचना चाहिए?

मालियों पर अंधा विश्वास

आंख मूंद कर मालियों पर भरोसा करते हैं। अधिकांश मालियों का पौधों और उनसे संबंधित जानकारी बहुत कम रहती है और हम उनके ही भरोसे रहते हैं। जबकि ज्यादातर माली हमें बेवकूफ बनाते हैं ।

बेसिक ज्ञान तक नहीं

हमने देखा कि लोगों को पौधों के संबंध में छोटी छोटी बेसिक जानकारी भी नहीं है। पौधे कब लगाएं। छांव का है या धूप का है। कितना पानी दें आदि। आपको शायद भान न हो कि कम पानी से उतने पौधे नहीं मरते, जितने की ओवर वाटरिंग से पौधों के संबंध में जानकारी Sanjay Blogger)img

नकली प्लांट फूड्स

नकली जैविक प्लांट फूड्स धड़ल्ले से बिक रहा है। यह पूरी तरह रासायनिक है और यह पौधों के स्वास्थ्य व पर्यावरण पर बुरा प्रभाव डाल रहा है।

उपेक्षित मिट्टी

लोगों का ध्यान मिट्टी के महत्व पर  नहीं है। जबकि मिट्टी ही हमारा भरण पोषण करती है।एक अरब चालीस करोड़ भारतीयों का पेट भर रही है और अब हम खाद्यान्न निर्यात भी कर रहे हैं। मेरे लिए यह बेहद आश्चर्य एवं शोध का विषय है कि जिस माटी की आन बान शान पर हम सदियों से कुर्बान होते रहे हैं, उसके बिगड़ते स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह क्यों है? जबकि आज भी वैज्ञानिक उसे बना नहीं पाए हैं।

साइलेंट किलर प्रदूषण Sanjay Blogger)img

साइलेंट किलर प्रदूषण

लोगों को पता नहीं है कि विश्व के टॉप 50 शहरों में अधिकांश भारत के ही हैं । प्रदूषण साइलेंट किलर है और इससे लाखों लोग मर रहे हैं। घर के अंदर बाहर की अपेक्षा 10 से 15 गुना प्रदूषण अधिक होता है।पौधों से इस प्रदूषण को रोका जा सकता है।

ग्रीन गिफ्टिंग

मुझे उपहार लेने या देने से चिढ़ थी। फिर लगा कि अगर उपहार देना ही है ग्रीन गिफ्ट दें क्योंकि यह लंबे समय तक रहेगा, आपके साथ ग्रो करेगा, आपके घर के प्रदूषण को कम करेगा ,सुंदरता बढ़ाएगा,पॉजिटिव वाइब्स भी देगा।

पेड़ पौधों की पूजा क्यों

हमने देखा कि लोग अनेक पेड़ पौधों को पूजते हैं,लेकिन क्यों,यह उनको पता नहीं है।हमें लगा कि उनको यह बताया जाए।

पेड़ पौधों में ठगी

एक ही पौधा किसी को 10, किसी को 20 और किसी को 25 रूपये में बेचा जा रहा है। हमें लगा कि एक ऐसा प्लेटफार्म हो, जिससे उस पौधे का वास्तविक रेट पता चल सके, जिससे कम से कम नर्सरी के क्षेत्र में आदमी ठगे जाने से बच सके।

पेड़ पौधों में ठगी Sanjay Blogger)img

झूठ बोलकर व्यापार

हाइब्रिड बताकर लोगों को देशी पौधा बेचा जा रहा है। घटिया गुणवत्ता का दिया जा रहा है  झूठ बोलकर बेचा जा रहा है। मेरे साथ भी एक घटना घटी जब हमने अपने फार्म हाउस में हाइब्रिड व उच्च गुणवत्ता वाले फलदार पौधे लगाने का ठेका एक महाशय को दे दिया। अनेक तरह के 100 से भी अधिक फलदार वृक्ष लगा दिए गये। जब तीन चार साल बाद पेड़ों ने फल आए, तब वे बहुत घटिया, निम्न गुणवत्ता वाले, देशी थे। जब मैंने उनसे रोष किया, तब उन्होंने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि मैं क्या करूं, हमने तो बाजार से ही खरीदे थे। हमें सारे पेड़ कटवाने पड़े। मन क्षुब्ध हुआ और समय जाया हो गया। सबक सीखा कि कम से कम परचेज स्वयं करना चाहिए था। अंधा विश्वास कितना खतरनाक साबित हुआ।

पहले नर्सरी और अब वेब साइट क्यों?

ये गंभीर समस्याएं सामने थीं । इनका ही जवाब जानने के लिए नर्सरी खोली और यह वेबसाइट भी इनसे जूझने में हुए थोड़े से ज्ञान को आपसे साझा करने के उद्देश्य से बनाई गई है।

यकीन मानिए हमारा उद्देश्य केवल व्यावसायिक कतई नहीं है। आप जहां से ले रहे हैं वहीं से लीजिए। इस नर्सरी व वेब साइट का मूल उद्देश्य आपको पेड़ पौधों के विषय में सूचित, शिक्षित व प्रेरित करना है। इनके प्रति आपके अनुराग को बढ़ाना है।आप सब अपने आस पास के वातावरण, पर्यावरण व प्रकृति के प्रति थोड़े गंभीर व जागरूक बनें। क्या पोस्ट कोरोना काल में यह और अधिक आवश्यक नहीं है ?

घरेलू पौधों के लिए रासायनिक खाद Sanjay Blogger)img

घरेलू पौधों के लिए रासायनिक खादों की आवश्यकता नहीं

सदियों से हम जैविक खेती कर रहे थे किन्तु 50-60 साल पहले अधिकाधिक उत्पादन के पीछे अंधी दौड़ एवं बहुराष्ट्रीय कंपनियों के क्षुद्र स्वार्थों के कारण रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों का जमकर प्रयोग प्रारम्भ हुआ। इस कारण कुछ वर्षों तक तो उत्पादन बढ़ा पर जमीन तेजी से बंजर होने लगी और लागत बढ़ जाने से खेती महंगी होते जाने से किसान परेशान, अवसादग्रस्त व ऋणग्रस्त होकर खुदकशी करने लगे। अब देश में फिर से जैविक खेती की ओर लौटने की बात हर कोई कर रहा है।

गृहवाटिका के लिये रासायनिक खादों व कीटनाशकों की कत्तई आवश्यकता नहीं है। जैविक खादों उर्वरकों व कीटनाशकों का प्रयोग ही फूल, फल व सब्जी उत्पादन के लिये प्रकृति व मानव के लिये सर्वथा उपयुक्त है।

अमूल्य मिट्टी का कोई विकल्प नहीं Sanjay Blogger)img

अमूल्य मिट्टी का कोई विकल्प नहीं

चूँकि मिट्टी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है अतः इसके धीरे-धीरे बंजर होते जाने को हम अधिक गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। मिट्टी के पोषक तत्वों की प्रदाता होने के कारण करोड़ों लोगों की खाद्य निर्भरता व आजीविका इस पर निर्भर है। इसे तैयार होने में सैकड़ों वर्ष लगते हैं। इसे लैब या फैक्ट्री में नहीं तैयार किया जा सकता। मिट्टी अमूल्य है, इसका कोई विकल्प नहीं है। फिर भी मिट्टी के संरक्षण, स्वास्थ्य व रखरखाव में हम इस कदर लापरवाह क्यों हैं ?

पौधों में ठगने से कैसे बचे ?

ये नर्सरी पीपल्स फ्रेंडली है। हम अधिकांश सीजनल पौधे 5 से10 रुपए तक में दे रहे हैं। जन्नत नर्सरी की वेबसाइट आपको बताएगी कि हर पौधे का सही मूल्य क्या होना चाहिए।आप जहां से पौधे ले रहे हों,वहीं से लेते रहिए।बस, हमसे उस पौधे का सही सही मूल्य जानकर कम से कम इस क्षेत्र में ठगे जाने से बचे रहिए।

कौन सा पौधा कब लगाएं ?

हम बताएंगे कि आपको कौन सा पौधा कब और कैसे लगाना है। अक्सर हम समय से पहले या समयके बाद पौधा लगाते हैं जिससे पौधे को हानि पहुंचती है।

हम आपको ये भी बताएंगे कि कौन सा पौधा आपको धूप में रखना है,कौन सा छांव में और कौन सा सेमी शेड में अच्छा ग्रो करेगा। एक आई ए एस अधिकारी मिलने गया।मैंने देखा कि उनके बड़े से ऑफिस में अनेक पौधे रखे हैं पर वे पीले पड़ रहे हैं क्योंकि वे सब धूप वाले हैं। मैंने उन्हें बताया तब उन्हें हटाकर छांव वाले रखे गए। प्रबुद्ध लोग को भी इन नन्हें से मसलों पर ज्ञान व ध्यान नहीं है।

Mesmerizing beauty of seasonal Flower Sanjay Blogger)img

पौधों के प्रति हमारा व्यवहार

अपने पालतू कुत्ते को हर महीने हजारों का डॉग फूड खिला देते हैं पर हम पर पूरी तरह आश्रित मूक पौधों को एक बार थोड़ी-सी गोबर की खाद देने के बाद पानी के अलावा और कुछ भी नहीं देते जबकि गमलों की मिट्टी से पानी के जरिये अधिकांश पोषक तत्त्व बहते रहते हैं।

भूखे पौधे काम कम करेंगे

क्या आपको पता है कि विश्व के टॉप फिफ्टी सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत के हैं? पौधे सबसे अच्छे एयर प्यूरीफायर है। अगर हम इन्हें ठीक से खाना पानी नहीं देंगे तब काम करना कम या बन्द कर देंगे जिससे प्रदूषण की स्थिति और भयावह होती जायेगी।

अनिवार्य पोषक तत्त्व Sanjay Blogger)img

अनिवार्य पोषक तत्त्व

प्रत्येक पौधे को 14 अनिवार्य पोषक तत्वों की आवश्यकता पड़ती है।

प्राइमरी  नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम,

सेकेण्डरी  कैल्शियम, मैग्नेशियम, सल्फर

माइक्रो न्यूट्रीयेन्ट बोरान, कॉपर, आयरन, जिंक, निकिल, क्लोरीन, मैगनीज, मॉलीबेडनम

 

गोबर के खाद की सीमाएं Sanjay Blogger)img

गोबर की खाद में केवल नाइट्रोजन ही ठीक मात्रा में होता है। फास्फोरस व पोटेशियम बहुत कम मात्रा में होते हैं जबकि अन्य पोषक तत्त्व तो होते ही नहीं। अधिक व गुणवत्तापूर्ण फल, फूल व सब्जी उत्पादन के लिये सभी 14 पोषक तत्त्व अनिवार्य हैं। शहरों में एक साल पुरानी सूखी गोबर की खाद मिल पाना भी टेढ़ी खीर है। 95 प्रतिशत वर्मी जो बाजार में बिक रही है वो वर्मी कम्पोस्ट है ही नहीं बल्कि कूड़ा है।

प्लांट फूड्स के नाम पर अंधी लूट

बाजार में ऑर्गेनिक ब्रांडेड प्लांट फूड्स बहुत कम हैं, और बड़े महंगे हैं। 95 प्रतिशत जैविक प्लांट फूड्स जो बाजार में बिक रहे हैं, उसे दो तीन सस्ते रासायनिक तत्त्वों को मिलाकर अनपढ़ या अल्पज्ञानी तैयार कर औने-पौने भाव पर बेच रहे हैं जिसमें पोषक तत्व न के बराबर होते हैं। बाजार में प्लांट फूड विशेषतया जैविक प्लांट फूड के नाम पर लूट मची हुई है।ऑर्गेनिक प्रोडक्ट के नाम पर घटिया रासायनिक पदार्थ पैक कर औने पौने दाम पर बेचा जा रहा है।जिससे पौधे को नुकसान पहुंच रहा है साथ ही मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण भी प्रभावित होता है।

पौधे की हर अवस्था के लिए अलग पोषक तत्त्व आवश्यक

फिर ये एक ही प्रकार के पोषक तत्व को पौधे के हर अवस्था में देने को कहते हैं जबकि पौधे की हर अवस्था पर अलग-अलग पोषक तत्त्व देने की आवश्यकता पड़ती है।

Bon Products Sanjay Blogger

 किक द केमिकल्स

हम ऑर्गेनिक प्लांट फूड्स भी उपलब्ध करा रहे हैं।इस संबंध में केवल खाली पीली जानकारी व ज्ञान ही नहीं दे रहे हैं बल्कि बाजार में उपलब्ध घटिया रासायनिक उत्पादों से दो दो हाथ करने के लिए 100% Pure  Bio, Organic, Natural, Vegan, Chemical free, Pollution free प्लांट फूड्स भी उपलब्ध करा रहे हैं।जैविक रोग नाशक एवं कीट नाशक भी उपलब्ध करा रहे हैं।हमारा मोटो है,”Give Back To Mother Earth With Us.” और हमारी टैग लाइन है, “Kick The Chemicals

जैविक प्लांट फूड के प्रचार प्रसार के लिए हमने अनेक वीडियो भी बनाए हैं। पौधे में पोषण की कमी व रोग के लक्षणों को पहचान कर उसके जैविक निदान के उपाय बताएंगे।पौधे के स्वास्थ्य व विकास पर सतत ध्यान कैसे रखा जाए।

पूज्य व पावन पौधों की गैलरी

जन्नत नर्सरी में हमने धार्मिक एवं सांस्कृतिक पौधों की गैलरी बनाई है।यहां पौधे हैं और जानकारी भी है। उदाहरण के लिए शमी का पौधा भी विक्रय हेतु है और साथ में यह ज्ञान भी है कि इसे क्यों पूजा जाता है? हमने पीपल, बरगद, तुलसी, शमी, रुद्राक्ष, गुड़हल, आम, आंवला, कदंब, अशोक नीम, केला, बेल, हरसिंगार, मदार, बांस आदि पेड़ पौधों के बारे में बतलाया कि आखिर इन्हें क्यों पूजा जाता है।

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एयर प्यूरीफायर प्लांट्स

प्रदूषण कम करने के लिए अनेक एयर प्यूरीफायर प्लांट्स भी जन्नत नर्सरी में उपलब्ध हैं।साथ में कौन सा एयर प्यूरीफायर प्लांट किन पॉल्यूटेंट्स को सोखता है, इस संबंध में पूरी जानकारी दी जाती है।दूसरे शब्दों में आपको एयर प्यूरीफायर प्लांट्स मिलेंगे, साथ ही चित्रमय, रंगीन साहित्य भी। साथ ही हम आपको इंडोर प्रदूषण के बारे में विस्तार से बताएंगे।घर के अंदर प्रदूषण बाहर से 10 से 15 गुना ज्यादा क्यों होता है।प्रदूषण के स्रोत व प्रभाव के बारे में जानकारी देंगे।एयर क्वालिटी इंडेक्स क्या है? नासा एवं एन बी आर आई के अनुसार कौन कौन से प्लांट्स हैं जो घर के अंदर के प्रदूषण को सोखते हैं।

अनेक तरह के प्लांट्स

हम आपको अनेक तरह के पौधे उपलब्ध करा रहे हैं। विंटर सीजनल ,समर सीजनल क्रीपर प्लांट्स, ग्राउंड कवर, हेज, धार्मिक, फोलिएज, शेड, एयर प्यूरीफायर प्लांट्स, स्थाई फूल देने वाले, पॉम, ग्रीन बेल्ट वृक्ष, घर के सामने के लिए वृक्ष आदि तरह तरह के प्लांट्स उपलब्ध हैं।

उपहार संबंधी समस्याएं

हाल ही में हमने उपहार के रूप में पौधे ही देने का एक अभियान शुरू किया है। भारतीय समाज में उपहार देकर प्यार, सम्मान, कृतज्ञता आदि का इजहार करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। महंगी मिठाई या ड्राई फ्रूट्स देने के साथ कई बार महंगी वस्तुएं भी दी जाती हैं। उपहार पाने वाले प्रभावशाली व्यक्ति के सामने समस्या खड़ी हो जाती है कि प्राप्त उपहारों का क्या करे।बाजारू मिठाइयां हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छी भी नहीं होती।

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इको फ्रेंडली ग्रीन गिफ्टिंग

महंगे उपहार लोग भूल जायेंगे। मिठाइयां व ड्राई फूट्स कंज्यूम होकर खत्म हो जाएंगी। लेकिन पौधे घरों को न केवल अपनी सुंदरता से सुशोभित करते रहेंगे बल्कि प्रदूषण कम करने में भी सहायक बनेंगे। पौधे हमारे साथ ही ग्रो करते हैं। प्लांट्स से अच्छा व काम का कोई और उपहार हो ही नहीं सकता। इसलिए मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण व राष्ट्र के लिए सारे कृत्रिम उपहारों को परे रखकर हमें अपना फोकस इको फ्रेंडली ग्रीन गिफ्टिंग की तरफ कर देना चाहिए।

आगे इन प्रश्नों के समाधान भी

इनके साथ ही हम आगे चलकर इन प्रश्नों का समाधान देंगे।

*मिट्टी कैसे तैयार करें ? *गमले का चयन व भराई,। * गृहवाटिका कैसे विकसित करें। *पौधे को कब व कितना पानी दे ? *एनुअल,बायनियल एवं परेनियल प्लांट्स कौन कौन से होते हैं ? *कंपोस्ट, वर्मी कंपोस्ट, नाडेप कंपोस्ट कैसे तैयार करें ? *सर्दियों व गर्मियों में पौधों की देखभाल कैसे करें ? *पी एच वैल्यू क्या है ? *हम आपको पॉलीहाउस व शेडनेट के बारे में बताएंगे ? *पॉली हाउस में किन पांच पर्यावरणीय कारकों पर ध्यान दिया जाता है ? *गुलाब की बागवानी कैसे करें ? *माहवार सब्जी उत्पादन ?  *रंगों के अनुसार मौसमी फूलों को कैसे लगाएं ? * ड्रिप सिंचाई प्रणाली क्या है ? *स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली क्या है? *लोकप्रिय पॉम कौन कौन से हैं  *55 स्थाई फूल देने वाले पौधे कौन कौन से हैं ?

इस तरह के तमाम प्रश्नों के उत्तर हम आपको समय समय पर देते रहेंगे।

Lets Do for Enviornment Sanjay Blogger)img

आइए कुछ तो करें?

प्रश्न फिर उठता है कि प्लांट फूड के इस दुष्चक्र व गड़बड़झाले को रोकेगा कौन? क्या आपकी गृहवाटिका की जिम्मेदारी भी सरकार ले? सारा कुछ सरकार पर डालकर उसे कोसकर व गरिया कर हल्के होने की प्रवृत्ति छोड़कर सीधे इस जीवन से जुडे़ मुद्दे पर सक्रियता दिखायें। हमें इस मुद्दे पर मुखर व प्रबल होना ही होगा क्योंकि ये सीधे हमसे, हमारे परिवार, समाज, राष्ट्र व पूरी पृथ्वी से जुड़ा जो है।

आइए, हम सब मिलकर इस धरती को हरे भरे वृक्षों से भरा, प्रदूषण मुक्त और खुशहाल बनाएं।

 

इतना सस्ता और कहाँ सौदा मिलेगा
बीज दो जमीन को तो पौधा मिलेगा।

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