हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग से  करें परहेज 

तनाव

हर माता पिता की यही इच्छा होती की उनका बच्चा अव्वल रहे। परीक्षा के पहले वे बच्चे पर ओवर कॉन्शियस व तनावग्रस्त होकर अपने बच्चे को एंग्जाइटी में डालकर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं।

क्या है ?

हर पल रोक टोक यानी हेलीकॉप्टर की तरह लगातार बच्चों के सिर पर मंडराने की आदत उन्हें और ज्यादा तनावग्रस्त कर देती है।

कुछ पैरेंट्स

कुछ पैरेंट्स इसे अपनी ड्यूटी समझकर पूरी मुस्तैदी के साथ हर पल उनकी निगरानी में जुटे रहते हैं। इससे फायदे के बजाय नुकसान होता है। वे ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते।

पर्सनल स्पेस

बच्चे को शांति पूर्वक अकेले बैठकर पढ़ने का मौका दें पर उनकी मदद के लिए सदैव तत्पर रहें। खासतौर पर बड़े बच्चों को पर्सनल स्पेस देना बहुत जरूरी है।

दो बच्चे

दो बच्चे हैं तो बेहतर होगा कि आप उन्हें दो अलग कमरे पढ़ने के लिए दें क्योंकि दोनों का पढ़ने का तरीका अलग होगा जिससे उनकी पढ़ाई ने बाधा पहुंचेगी।

शक 

बेशक बच्चों की निगरानी जरूरी है, पर साथ ही भरोसा भी रखें अन्यथा उनके अंदर नकारात्मक भावना आयेगी कि फालतू में हम पर शक किया जा रहा है। इससे उनके आत्मनिर्भर बनने में बाधा आएगी।

चिंता

अत्यधिक चिंता से बात बनने की जगह बिगड़ जायेगी। उन्हें बचाने के लिए पहले पेरेंट्स अपनी आदतों व व्यवहार पर ध्यान दें तब बच्चों में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करें।

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