हम सामाजिक अलगाव के शिकार हो सकते हैं। अकेलापन व वैराग्य की भावनाएं हमारे स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। हम अधिकांशतया फर्जी सूचनाओं के संसार में डूब गए हैं। असत्यापित सामग्रियां भरी हुई हैं और हम इन पर आसानी से विश्वास कर लेते हैं। इंटरनेट पर ईमानदारी और भोलापन आपके खिलाफ जा सकते हैं और पल भर में पूरी दुनिया में आपको बदनाम कर सकते हैं। इंटरनेट चैटिंग पर सामने वाले की पहचान जाहिर नहीं होती, इसलिए सत्य व झूठ पता नहीं चलता। इसलिए धोखा देना आसान होता है। सच यही है कि सोशल मीडिया में हमें सबसे ज्यादा अनसोशल बना दिया है। इसके चक्कर में पड़कर हम वास्तविक दोस्ती के महत्त्व को कम करते जा रहे हैं।.