भारत में जिन पर आसन्न खतरा मंडरा रहा है, उनमें प्रमुख हैं-Asiatic Lion, Royal Bengal Tiger, Snow Leopard, Black Buck, Red Panda आदि।
खतरा
आप सोचेंगे कि अरे ये सब तो जंगली जानवर हैं, इनके लुप्त होते जाने में हमारा क्या दोष ? यह सत्य के परे है क्योंकि आस पास के जीव व वनस्पति भी मानव के हमलों के शिकार है।
शिकार
अपने बचपन में जरा कुछ क्षण के लिए लौटिए, हमारे घर-आंगन में चीं ची करते हुए कूदती-फुदकती नन्हीं-सी गौरैया कहां गायब हो गई, वो जो हम सबके बचपन का अभिन्न अंग हुआ करती थी।
गौरैया गायब
आप बेखबर होंगे लेकिन 60% से 80% गौरैया कम हो गई । अब मां ने बच्चे को ची ची करती आई चिड़िया, अन्न का दाना लाई चिड़िया कहना छोड़ दिया है।
बेखबर
जब गौरैया गायब हो गई तब हमने 2010 से हर वर्ष 20 मार्च को विश्व गौरेया दिवस मनाना शुरू कर दिया ताकि विश्व भर में गौरैया सरंक्षण पर विचार विमर्श हो , जागरूकता बढ़े।
गौरैया दिवस
गौरैया कीटों को खाकर अनाज बचाती है। मादा हर वर्ष 3 से 5 अंडे देती है। 12-15 दिन बाद अंडों से गौरैया के बच्चों का जन्म होता है। जन्म के 15 दिन बाद उड़ने लगते हैं।
गौरैया
कभी आपने सोचा है कि गौरैया क्यों विलुप्त होने लगी। हमारे घरों की डिजाइन बदल गई, पेड़ पौधे कम हो गए, रासायनिक खेती, मोबाइल टावर के विकिरण का भी प्रभाव आदि कारण हैं।
विलुप्त क्यों ?
आज जब प्रकृति अपना रौद्र रूप दिखाती है तब लगता कि जैसे वह मानव के कुकर्मों की सजा दे रही हो।
सजा
आज मानव को अपनी गतिविधियों पर ईमानदार फ्लैश बैक करके सुधार की आवश्यकता है।
फ्लैश बैक
हमारा मैसेज लाउड एंड क्लियर है कि हम प्रकृति का सम्मान करेंगे, तभी उसके रोष से बचे रहेंगे।
मैसेज
केवल मेरे लिखने और आपके पढ़ने से कुछ होने से रहा, आइए, कुछ करें, फिर वो नन्हा सा ही क्यों न हो, जैसे गौरैया को दाना पानी देने की तरह या किसी पौधे को लगाने की तरह ....