अंतर

नीड व डिजायर में अंतर

इच्छाओं 

हमें नीड व डिजायर में अंतर समझना चाहिए। ज़रूरत बहुत कम की रहती है और इच्छाओं का कोई ओर छोर नहीं होता। 

ग्रीड

हम अपनी नीड बढ़ाते चले जा रहे हैं जिससे हमारी ग्रीड बढ़ती जा रही है। 

कम नीड 

जितनी हमारी नीड कम होगी, हमारी खुशी उतनी ही ज्यादा होती है, पर अफसोस सामान्यतया हम इसको उल्टा समझते हैं। 

समझ 

नीड व लग्जरी के अंतर को हम समझते ही नहीं हैं। 

डिजायर भगवान 

डिजायर को भगवान मान लेते हैं और नीड को भाव ही नहीं देते।

नीड का महत्त्व 

नीड तब समझ में आती है,  जब वह होती नहीं है। सांसों का महत्व तब समझ में आता है, जब ऑक्सीजन नहीं होती।

अंतहीन दौड़ 

नित्य बदलती डिजायर्स के कारण हम रेस्‍टलेस होकर एक अंतहीन बेतहाशा दौड़ लगाते रहते हैं।

डिजायर

जो डिजायर पूरी हो जाती है, उस का महत्व कम हो जाता है। फिर हम नई डिजायर पकड़ लेते हैं।

निरर्थक दौड़ 

हमें समझदारी से अपनी नीड को कम रखना चाहिए, जिससे हम इस निरर्थक दौड़ से बचे रहें।

धन ही भगवान 

बुराई धन में नहीं है, उसके पीछे भाग रहे लोगों में है,  जिन्होंने धन को भगवान मान लिया है। 

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