अनेक जीव व  वनस्पति विलुप्ति की कगार पर (भाग एक)

डोडो दुःखभरी दास्तां

कोरोना के बाद आप सोचते होंगे कि वायरस ही मानव पर आक्रमण करते हैं और

मानव कितना बेचारा है ? 

सोच

कभी आपने सोचा है कि इस ग्रह का सबसे बड़ा आक्रमणकारी कौन है ? आइए, जरा चेक करते हैं। एक उदाहरण से समझ लेते हैं।

आक्रमण

साल था 1598, कुछ लोग हिंद महासागर के एक सुंदर से द्वीप मारीशस पर पहली बार उतरे तमाम कुदरती सुंदरता के साथ उन्होंने अनेक नए जीव जंतुओं को भी देखा। 

मारीशस

उन्हें हजारों की संख्या में एक विशाल पक्षी नजर आया, लगभग एक मीटर ऊंचा, उन्होंने उसका नाम दिया डोडो। विश्व ने पहली बार इस पक्षी को जाना। 

डोडो

साल दर साल तमाम देशों के लोगों का आना जाना लगा रहा और डोडो के मांस व अंडे के लिए वे लोग उसकी “ देखभाल " करते रहे। 

" देखभाल "

जानते हैं अंतिम डोडो कब दिखाई पड़ा, 1688 में यानी महज़ 90 साल में ही चट। आह! विकसित व सुसभ्य मानवों ने बेचारे डोडो का अस्तित्व ही सदा के लिए समाप्त कर दिया।

काम तमाम

अब भला बताएं, कौन है इस प्लेनेट का बड़ा आक्रमणकारी ? आज डोडो जैसे तमाम जीवों पर विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है। 

खतरा

हम इस ब्लॉग में समय समय पर ऐसी सत्य घटनाओं और आसन्न खतरों के बारे में आपको अवगत कराते रहेंगे। यह प्लेनेट केवल मानवों का ही नहीं है। 

अवगत