4 माह की आयु पर अर्धवार्षिक पुनरावृत्ति पशु चिकित्सक के निर्देशानुसार
खुरपका मुंहपका रोग वैक्सीन
Foot & Mouth Disease Vaccine
आयु 6 माह के ऊपर मानसून से पहले अर्धवार्षिक पुनरावृत्ति पशु चिकित्सक के निर्देशानुसार
गलघोंटू वैक्सीन
Haemorrhagic Septicaemia Vaccine
आयु 6 माह से ऊपर मानसून से पहले वार्षिक पुनरावृत्ति बेहतर पशु चिकित्सक के निर्देशानुसार
लंगड़ा बुखार वैक्सीन
Quarter Vaccine
आयु 4-8 माह केवल मादा पशुओं में लगाना है। उम्र भर प्रतिरक्षा मिलती है। रोग का प्रसार 5% से अधिक होने पर टीकाकरण कराएं।
ब्रुससेल्लोसिस सी-19 वैक्सीन
Brucellosis C-19 Vaccine
आयु 4-8 माह केवल मादा पशुओं में लगाना है। उम्र भर प्रतिरक्षा मिलती है। रोग का प्रसार 5% से अधिक होने पर टीकाकरण कराएं।
अलग करें
सभी नए खरीदे गए पशुओं को अन्य पशुओं के साथ रखने से पूर्व 15-20 दिन तक अलग रखकर यह देखा जाता है कि इन पशुओं को कोई संक्रामक रोग तो नहीं है।
संगरोध
Quarantine
स्वस्थ पशुओं को शुद्ध चरागाहों पर भेंजे। जहां बीमार पशु चर चुके हों, वहां न चराएं। दूषित चरागाहों पर चूना डालें या जुताई कर 5-6 महीने खाली छोड़ने से कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
चारागाह
रोगी पशुओं को छूने के बाद हाथ पैर दवायुक्त पानी से साफ करें। रोगी पशु के संपर्क में आए बर्तनों, जंजीर आदि को उबलते पानी में खौलाकर जीवाणु रहित करें।
जीवाणु रहित करना
पशु गृह के फर्श व दीवालों को अच्छी तरह कास्टिक सोडा या कार्बनिक अम्ल से धोएं। दीवारों पर कार्बनिक अम्लयुक्त चूना पुतवा दें।
पशु आवास की सफाई
संक्रामक रोग की आशंका होने पर पशुओं को एक जगह एकत्रित होने से रोकें। उन्हें बाजारों, मेलों, प्रदर्शनियों आदि में न जाने दें।
आवागमन पर रोक
पशुओं को एक दूसरे का जूठा चारा-दाना न खिलाएं और न ही उन्हें जूठे बर्तन में पानी पिलवाएं। उन्हें सुपाच्य पौष्टिक आहार और साफ व ताजा पानी दें।
जूठा आहार न दें
संक्रामक रोगों से मृत पशुओं को सड़कों, खुले मैदानों, तालाबों, नहरों, नदियों जैसे सार्वजनिक स्थलों पर न फेंके। उनकी खाल भी न उतारें।
खुले में न फेंके
मृत पशुओं की सामग्री सहित शव को या तो आग में जला दें अथवा 1.5-2 मीटर का गड्ढा खोदकर, ऊपर-नीचे 20-30 सेमी. चूना बिछाकर शव को मिट्टी से दबाकर चारों ओर कांटेदार तार लगा दें।
निस्तारण
संक्रामक रोग की जरा भी आशंका होने पर निकट के पशु चिकित्सालय से तत्काल संपर्क करें या पशुधन समस्या निवारण केंद्र के टोल फ्री नंबर 1800 180 5141 पर कॉल करें।