देश को आत्मनिर्भर बनाने वाले महान कृषि वैज्ञानिक डॉ.एम एस स्वामीनाथन
भारत रत्न
सामान्यतया भारत रत्न पुरस्कारों किसी वर्ष में अधिकतम तीन तक सीमित है।हालांकि 1999 इसे चार लोगों को दिया गया। इस बार अब तक पांच लोगों को भारत रत्न से नवाजा गया है।
भूमिका
कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन चुनौतीपूर्ण समय में भारत को कृषि आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कृषि का आधुनिकीकरण किया।
खाद्य सुरक्षा
डॉ. स्वामीनाथन के दूरदर्शी नेतृत्व ने न केवल भारतीय कृषि को बदल दिया, बल्कि राष्ट्र की खाद्य सुरक्षा और समृद्धि को सुनिश्चित किया।
हरित क्रांति
भारत की हरित क्रांति के जनक डॉ. एम एस स्वामीनाथन का निधन गत वर्ष हो गया था। उन्हें पद्म विभूषण भी मिल चुका है।
शिक्षा
उन्होंने 1949 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से कृषि विज्ञान में एम एस सी किया। 1952 में उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से आनुवांशिकी और पादप प्रजनन में पी एच डी की।
पद
स्वामीनाथन 1972-79 तक भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के महानिदेशक पद पर रहे। 1972 से1979 तक भारत सरकार के सचिव के पद पर रहे।
आत्मनिर्भर
स्वामीनाथन जी गेहूं के बेहतरीन किस्म की पहचान की जिसके चलते गेहूं उत्पादन में भारी बढ़ोतरी हुई और देश अपने पैरों के बल पर खड़ा हो पाया।