सैपरोलगनियोसिस

शरीर पर रूई के गोले की भांति सफेदी लिए भूरे रंग के गुच्छे उग आते हैं।

उपचार

3 प्रतिशत साधारण नमक के या कॉपर सल्फेट के 1:2000 सांद्रता या 1:1000 पोटैशियम वाले घोल में डुबोएं। छोटे तालाबों हेतु 1 ग्रा. मैलाकाइट ग्रीन 5-10 मीटर पानी की दर से दें। 

बैकियोमाईकोसिस

गलफड़ों का सड़ना। दम घुटने के कारण रोगग्रस्त मछली ऊपरी सतह पर आकर हवा पीने का प्रयास करती है। बार बार मुंह खोलती और बंद करती है।

उपचार

प्रदूषण की रोकथाम,मीठे पानी से तालाब का स्तर बढ़ाएंया 50-60 किग्रा./हे. चूने का प्रयोग या 0.5 मीटरगहराई वाले तालाबों में 8 किग्रा./हे. की दर से कॉपरसल्फेट का प्रयोग करना। 

फिन व टेल रॉट

पंख एवं पूंछ की सड़न आरंभिक अवस्था में पंखों के किनारों पर सफेदी आना,बाद में पंखों और पूंछ का सड़ना।

उपचार

फोलिक एसिड को इमेक्विल दवा 10 मिली./ 100 ली.पानी मिलाकर मछली को दें। 24 घंटे के लिए घोल में 2-3 बार एक्रिप्लेविन 1% को 100 मिली./1000 ली. पानी मछली को 30 मिनट रखें। 

अल्सर या घाव

सिर, शरीर और पूंछ पर घाव 

उपचार

5 मिलीग्राम प्रति लीटर की दर से पोटाश का प्रयोग करें। चूना 600 किग्रा./हे. मी. की दर से 3 बार 7-7 दिन के अंतराल से डालें। सीफेक्स 1 लीटर पानी में घोल बनाकर डालें।

ड्रॉप्सी या जलोदर रोग

लक्षण आंतरिक अंगों और उदर में पानी का जमाव 

उपचार

मछलियों को स्वच्छ जल और भोजन की उचित व्यवस्थाकरें। चूना 100 किग्रा. प्रति हे. मी. की दर से दो तीन बार 15 दिन के अंतराल पर दें।

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