हिंदू धर्म में गायत्री मंत्र की गणना शक्तिशाली और लोकप्रिय मंत्रों में की जाती है। 

मंत्र

यह मंत्र सर्वप्रथम ऋग्वेद में उद्धृत हुआ है। इसके ऋषि विश्वामित्र हैं और देवता सविता ( सूर्य ) हैं।

ऋग्वेद

गायत्री वेदों की माता हैं। इनके तीन नाम हैं जो हम सब में हैं इंद्रियां (गायत्री), बोलने की शक्ति (सरस्वती) और जीवन शक्ति (सावित्री)।

माता

हे प्रभु! आप हमारे जीवन के दाता हैं। आप हमारे दुःख और दर्द का निवारण करने वाले हैं।

भावार्थ-I

हे संसार के विधाता, हमें शक्ति दो कि हम आपकी उज्ज्वल शक्ति को प्राप्त कर सकें। कृपा करके हमारी बुद्धि को सही रास्ता दिखाएं।

भावार्थ-II

गायत्री मंत्र के प्रत्येक शब्द की हिंदी व्याख्या = प्रणव, भूर = मनुष्य को प्राण प्रदान करने वाला, भुवः = दुःखों का नाश करने वाला, तत्‍सवितुर्वरेण्‍यं = सूर्य की भांति उज्जवल। 

व्याख्या-I

वरेण्यम = सबसे उत्तम, भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला, देवस्य = प्रभु, धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य, धियो = बुद्धि, यो = जो, न: = हमारी, प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें। 

व्याख्या-II

गायत्री मंत्र विराट विश्व व मानव जीवन, देव तत्त्व व भूत तत्त्व, मन व प्राण, ज्ञान व कर्म के पारस्परिक संबंधों की पूरी व्याख्या कर देता है। 

महिमा क्यों ?

जप से कई प्रकार के लाभ मिलते हैं। तेज बढ़ता है। मानसिक चिंताओं और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है। स्मरण शक्ति बढ़ती है। हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।

लाभ

हिंदुओं के लोकप्रिय मंत्रों में है गायत्री मंत्र जिसका अर्थ है, हे ईश्वर, मेरा मन, मेरी बुद्धि और मेरा पूरा जीवन दिव्यता से व्याप्त हो जाए, यही गायत्री मंत्र का महत्व है।

संक्षेप

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