भारत सरकार ने गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली तक विस्तारित अरावली पर्वत श्रृंखलाओं में 5 किमी. चौड़ी हरियाली की पट्टी बनाने की भव्य परियोजना शुरू की है।
अरावली की ग्रेट ग्रीन वॉल
ऐसा मरुस्थलीकरण और अपघटन से निपटने, जैव विविधता के संरक्षण करने, जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए किया जा रहा है।
उद्देश्य
यह विचार 11 देशों द्वारा बनाई जाने वाली अफ्रीका की ग्रेट ग्रीन वॉल से आया ताकि सहेल व सहारा क्षेत्र के रेगिस्तान का विस्तार रोका जा सके। इसका लक्ष्य जल संरक्षण व भू सुधार भी है।
विचार
अरावली दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखलाओं में है। यह एन सी आर की जीवन रेखा तथा थार मरुस्थल व पश्चिमोत्तर के उर्वर मैदानों के बीच का प्राकृतिक बफर क्षेत्र भी माना जाता है।
अरावली
यहां का जल स्तर नीचे जा चुका है। जमीन धंसने की घटनाएं घट रही हैं। थार मरुस्थल से उड़ने वाली धूल से दिल्ली में वायु प्रदूषण फैलता है।
एन सी आर
इन इलाकों में हरियाली बढ़ाने से 2.5 अरब टन का अतिरिक्त कार्बन सिंक तैयार करने में मदद मिलेगी।
कार्बन सिंक
इस योजना में स्थानीय वृक्ष, झाड़ियां व घास भी विकसित की जायेगी ताकि वन बचे रह सकें और स्थानीय समुदायों को रोजगार मिल सके।
वृक्ष, झाड़ियां व घास
परियोजना में सतह पर मौजूद जल सरंचनाओं और नदियों के भराव क्षेत्र को नए सिरे से बेहतर बनाया जायेगा ।
जल सरंचना
बनास, साहिबी और लूणी अरावली पहाड़ियों से निकलती हैं और कच्छ के रण के पारिस्थितिकी और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इलाकों ने बहती हैं जो पाकिस्तान की सीमा से लगा हुआ है।
नदी
अब समय आ गया है कि हम अपनी जमीन,जल,वन,पर्यावरण और जीवन को बचाने के लिए इस तरह के और अनेक गेम चेंजर कदम उठाएं।