गर्म व शुष्क जलवायु में फल अधिक मीठे होते हैं। अधिक पानी, पाला व लू तीनों हानिकारक है। जीवांश बाहुल्य व उचित जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त है।
किस्में व बीज की मात्रा
पूसा की जायंट, मैजेस्टी, डेलिसस व ड्वार्फ, सूर्या, सी.ओ. 1, 2 व 3, कुर्ग, हनी, बीज की मात्रा डायोसियस किस्म 250-300 गायनो- डायोसियस 80-100 ग्राम प्रति हेक्ट.।
बीज उपचार
पपीते के बीज को बोने से पहले थीरम से उपचारित करें। इसे पॉलीथीन बैग में उगाएं। बीज बोने का समय मई से अगस्त तक का होता है।
गड्ढे कितनी दूरी पर
अच्छी तरह से तैयार खेत में 2x2 मीटर की दूरी पर 50x50x50 सेमी. आकार के गड्ढे मई महीने में खोदकर 15 दिन के लिए खुला छोड़ दें ताकि उनमें धूप लगकर कीड़े मर जाएं।
गड्ढे कैसे भरें ?
गड्ढे को आधा मिट्टी, आधा सड़ी हुई खाद तथा फोरेट 10 जी 50 ग्राम को मिलाकर ऐसे भरें कि गड्ढा जमीन से 10-15 सेंटीमीटर ऊंचा रहे। भराई के बाद सिंचाई कर दें।
कितने पौधे लगाएं ?
एक गड्ढे में डायोसियस किस्मों के दो तीन पौधे और गायनो डायोसियस किस्म का एक पौधा लगाना चाहिए।
पोषण
अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए 250 ग्राम नत्रजन, 250 ग्राम फॉस्फोरस तथा 250 ग्राम पोटाश प्रति पौधा प्रति वर्ष देना चाहिए ।
सिंचाई
सर्दियों के मौसम में 10-15 दिन पर और गर्मियों के मौसम में 6-7 दिन पर पानी दें। पानी अधिक व देर तक न लगे और तने के सीधे संपर्क में न आए।
निराई-गुड़ाई
हर 2-3 सिंचाई के बाद थालों की हल्की निराई-गुड़ाई कर पौधों पर मिट्टी चढ़ा दें। फूल आना प्रारंभ होने पर 10 प्रतिशत नर पौधों को छोड़कर शेष नर पौधों को हटा देना चाहिए।
उपज
नौ महीने पर फल आना प्रारंभ। एक स्वस्थ पेड़ से औसतन 40-50 फल लगभग 60-75 किग्रा. पपीता मिलता है। पपीता तीन साल तक अच्छी फसल देता है। उसके बाद पौधे को हटा दें।
प्रमुख कीट : माहू
डाई मेथोएट 30 ई.सी.1.5 मिली लीटर अथवा फास्फेमिडान 0.6 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें।
पद गलन
फफूंदी से वृद्धि रुककर पत्तियां पीलीपड़ती हैं और पौधा सड़ जाता है। ग्रसित भाग में कॉपर ऑक्सी क्लोराइड 3 ग्रा. या कार्बनडाजिम 1 ग्रा. प्रति ली. पानी में तने को दें।
एन्थ्राक्नोज़
पत्ती व फल की बढ़वार रुक जाती है। फल पर भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 3 ग्राम या मैनकोजेब 2 ग्राम प्रति ली. पानी में घोलकर छिड़काव करें।
फलों की छंटाई
फलों की संख्या अधिक होने पर फल का आकार छोटा हो जाता है। अतैव अनावश्यक फलों को तोड़कर निकाल देना चाहिए।
ध्यान दें
डायोसियस किस्म में नर व मादा का अनुपात 1:10 का होना चाहिए। पकने से पहले फल को तोड़ लें। पाले से बचाने के लिए सिंचाई व धुआं करें और फलों को टाट से ढक दें।