कम वर्षा वाले गर्म क्षेत्रों में बाजरा पारंपरिक रूप से एक महत्वपूर्ण अनाज, चारा और ईंधन की फसल है।
शुष्क व उष्ण क्षेत्र में भी पैदा
न्यूनतम उपजाऊ मिट्टी व कठिन परिस्थितियों में उपजने की क्षमता की वजह से यह उन क्षेत्रों में भी उपजता है जहां मक्का गेहूं आदि टिक नहीं पाते।
विपरीत परिस्थितियों में भी
बाजरा में ऐसे अनेक जैव रसायन पाए जाते हैं जो कोलेस्ट्रॉल कम कर हृदय रोगों से हमारी रक्षा करते हैं।
हृदय की रक्षा
बाजरे में मिनरल्स, प्रोटीन, विटामिन, फोलिएट, मैग्नीशियम, कैल्शियम, कॉपर, जिंक, विटामिन ई और अनसैचुरेटेड फैट प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
पोषक तत्त्व
बाजरा फाइबर का अच्छा स्रोत है। भूख को नियंत्रित करने में मदद करता है और वजन कम करने में सहायक है। दांतों, हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
क्या करता है ?
ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होने के कारण शुगर नियंत्रण में सहायक है। इसमें मौजूद मैग्नीशियम व पोटेशियम उच्च रक्तचाप को कम रखकर हृदय रोगों से रक्षा करते हैं।
क्या हैं लाभ ?
बाजरा में मौजूद लायसीन, एंटी ऑक्सीडेंट्स और फिनोलिक्स फ्री रेडिकल्स को रोकता है जिससे व्यक्ति पर उम्र का प्रभाव कम पड़ता है और चेहरे पर ग्लो बना रहता है।
फायदे
ग्लूटन फ्री होने के कारण सेलियक रोग नहीं होने देते जिससे गेहूं से एलर्जी वाले लोगों को बहुत लाभ मिलता है।
अन्य लाभ
ज्वार का नियमित सेवन लाइफ स्टाइल से जुड़े रोगों जैसे मधुमेह, उच्च रक्त चाप, मोटापा, गठिया, पाचन संबंधी रोगों के लिए बहुत लाभकारी है।
बाजरे का नियमित सेवन
बाजरे से आम तौर पर रोटी बनाई जाती हैं। दलिया एवं चावल के रूप में इसका सेवन भी लोकप्रिय है। अन्य व्यंजन हैं हलवा, डोसा, इडली, उपमा, लड्डू, केक, बिस्किट, बर्गर, नमक पारा आदि ।
मिक्सी के जार में कैस्टर शुगर व मक्खन को अच्छी तरह से फेंटे। अब एक अंडा डालकर मिक्स करें।
बनाने की विधि भाग – I
इस घोल में बाजरे का आटा, बेकिंग पाउडर, एसेंस, पीला रंग डालें और अच्छी तरह से मिलाएं।
बनाने की विधि भाग – II
ग्रीस की हुई ट्रे में डालकर 180 सेट्रि. तापमान पर बेक करें। ठंडा होने पर चाकू से काटकर ओवन में 160 सेंटी पर दोनों तरफ बेक करें। कुरकुरा होने पर निकाल लें।