यह शुष्क क्षेत्र में उपजने वाला, वर्ष भर उत्पन्न होने वाला अनाज का पौधा है। इसमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन व कैल्शियम पाया जाता है।
रागी या मंडुआ
इस धान्य में सभी आवश्यक एमिनो एसिड्स, विटामिन ए, बी, फॉस्फोरस, फाइबर्स जो हमारे शरीर के विकास के लिए चाहिए, वो संतुलित मात्रा में उपलब्ध हैं।
पोषक तत्त्व
यह चावल व गेहूं से दस गुणा अधिक कैल्शियम व लौह का स्रोत है, जिसकी वजह से यह बच्चों के लिए अमृत समान है जो कुपोषण से लड़ने के लिए उन्हें सक्षम बनाता है।
अति महत्व का
इस अनाज में उपलब्ध रेशे की मात्रा उदर विकार, उच्च रक्तचाप और आंतों के कैंसर से हमारे शरीर की रक्षा करता है।
रेशे की मात्रा
शर्करा के स्तर को एवं मधुमेह को नियंत्रित करने की क्षमता की वजह से रागी एक आदर्श खाद्यान्न है।
मधुमेह में लाभकारी
रागी से अनेक तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं जैसे चपाती, डोसा, केक, खीर, कुकीज, लड्डू, बिस्किट, माल्ट, मफिन्स आदि।
व्यंजन
रागी का आटा एक कप, प्याज एक, हरा मिर्चा 2, हरा धनिया, नमक स्वादानुसार, दही 1/4 कप, पानी व तेल आवश्यकतानुसार।
प्रयुक्त सामग्री
प्याज, हरी मिर्च, हरी धनिया, नमक, दही रागी के आटे में मिलाकर पानी के साथ गूंथ लें।
बनाने की विधि भाग – I
इस आटे के समान आकार के गोले बना लें। पैन में एक चम्मच डालकर गरम कर लें। हाथ में थाप कर छोटी छोटी रोटी बना लें।
बनाने की विधि भाग – II
धीमी आंच पर पैन में अच्छी तरह सेंक लें। दोनों तरफ सेंक कर प्लेट में निकाल लें । अचार व दही साथ परोसें।