आज इजरायल हमाज संघर्ष में दुनिया की आधी से अधिक आबादी दो खेमों में बंट गई है। भारत, अमेरिका, ब्रिटेन आदि सरकारें इजरायल के पक्ष में और लगभग सारे मुस्लिम देश हमाज के पक्ष खड़े हैं।

दुनिया में 1.5 करोड़ यहूदी, 240 करोड़ ईसाई (32%) 125 देशों में, 190 करोड़ मुस्लिम (23%) 49 देशों में हैं। लोकतांत्रिक देशों की जनता भी विभाजित दिख रही है।  

इन तीनों धर्मों के पूर्वज एक ही हजरत इब्राहीम थे। फिर आखिर ये आपस में क्यों लड़ रहे हैं ? आइए, देखते हैं कि इन तीनों एक ही व्यक्ति से कैसे जुड़े हैं।

ये तीनों धर्म एक ही केंद्रीय पैगंबर हजरत इब्राहीम से निकले हैं जिनका जन्म 2150 B.C. में सुमेर या इराक में व मृत्यु हेब्रान, इसराइल में हुई थी। इसलिए इन तीनों को इब्राहीमी धर्मों (Abrahamic Religions) भी कहते हैं। 

मुस्लिम इब्राहिम और क्रिश्चियन व ज्यूज़ अब्राहम के नाम से पुकारते हैं। तीनों धर्मों इनको अपने पितृ पुरुष के रूप में स्वीकार करते हैं। ये एकेश्वरवाद के पितामह  हैं।

हालांकि ईसाई धर्म में ईसा, मुस्लिम धर्म में मोहम्मद और यहूदी धर्म में मूसा या मोजेस का महत्व बहुत अधिक हो गया, पर तीनों ही धर्म इब्राहीम का बहुत सम्मान करते हैं और उन्हें अपना पूर्वज मानते हैं।

इब्राहीम ने अरब व इजरायल इलाके से मूर्ति पूजा को समाप्त किया और एकेश्वरवाद को बढ़ावा दिया। उससे पहले वहां मूर्ति पूजा की जाती थी और अनेक ईश्वर की पूजा की जाती थी।

इब्राहीम के दो बीवियां हजरा व सारा थी। हजरा से इस्माइल और सारा से आइजेक या इसहाक हुआ। इस्माइल की कई पीढ़ियों के बाद पैगंबर हजरत मोहम्मद पैदा हुए थे।

इब्राहीम की बीवी हजरा अपने बेटे इस्‍माइल को लेकर एक यात्रा पर थीं। तब इस्माइल के लिए पानी की खोज में मक्का की दो पहाड़ियों सफा व मारवा पर सात बार गईं। पानी न मिला। थक हार के हताश होकर बैठ गईं।

अचानक इस्माइल का पैर जमीन से छूने से आबे जम जम का झरना फूट पड़ा। इस पवित्र कुएं के 30 मीटर दूरी पर इब्राहीम ने काले पत्थर (उल्का पिंड) के ऊपर काबा की स्थापना की। ये दोनों मक्का मस्जिद के अंदर ही है।

आबे जम जम, काबा और मक्का शहर की स्थापना इब्राहीम, हजरा और इस्माइल ने की थी। इस प्रकार इन सबकी स्थापना पैगंबर हजरत मोहम्मद के आने से 2500 साल पहले ही हो चुकी थी। 

इसलिए काबा के सात राउंड लेने की प्रथा है। सऊदी अरब ने सफा और मारवा पहाड़ियों के बीच कवर्ड पैसेज बना दिया है। जहां प्लेन था वहां हजरा दौड़ के गईं थीं वहां पर स्लोप बनाया गया ताकि वहां सब दौड़ के जाएं। 

अब इब्राहीम की दूसरी पत्नी सारा से हुए पुत्र इशाक या इशहाक की बात करते हैं। इसहाक से आगे चलकर याकूब या जैकब का जन्म हुआ। जैकब का ही दूसरा नाम इजरायल है जिसका अर्थ शासन करना। 

जैकब के हुए 12 पुत्रों से अलग अलग कबीले बने। इजरायल की इन 12 जनजातियों में सबसे प्रसिद्ध हुआ Yahuda या Judah नामक शासक जिसके यहूदा नाम से यहूदी और जुदाह से ज्यूज शब्दों की उत्पति हुई।

पैगम्बर हजरत इब्राहीम तीनों धर्म ग्रंथों यानी कुरान, बाइबल और हिब्रू बाइबल में आदर से वर्णित है। तीनों धर्म ग्रंथो के इब्राहीम के संबंध में मामूली अंतर के साथ अनेक घटनाएं बताई गईं हैं। 

एक बार ईश्वर ने इब्राहीम को आदेश दिया कि सबसे प्रिय वस्तु का त्याग करो। इब्राहीम ने सबसे प्रिय अपने बेटे की बलि चढ़ाने का निर्णय लिया। तीनों धर्म ग्रंथ इस घटना का वर्णन मामूली अंतर के साथ करते हैं। 

बाइबल में वर्णन है कि इब्राहीम ने अपने छोटे पुत्र इशहाक की बलि चढ़ाने का निर्णय लिया और उसके हाथ बांध दिए। चाकू से उसके गले पर वार करने ही वाले थे, तभी ईश्वर के भेजे गए फरिश्ते ने रोक दिया। 

इसराइलियों के धर्म ग्रंथ हिब्रू बाइबल में इस पूरी घटना को काल्पनिक करार करता है। इसका मतलब यह था कि ईश्वर ने इब्राहीम को अपने बेटे इशहाक को धर्म के लिए न्यौछावर करने का आदेश दिया था।

कुरान में जिक्र है कि इब्राहीम और बेटा इस्माइल दोनों इसके लिए सहर्ष तैयार हो गए। बलि होने वाली ही थी कि अल्लाह ने रोक दिया। उसी समय एक भेड़ आ गई जिसकी प्रतीकात्मक रूप से बलि चढ़ा दी गई। 

सारे विश्व के मुसलमान हजरत इब्राहीम और इस्माइल से जुड़ी इसी घटना के कारण ईद उल अजहा या बकरीद के रूप में मनाते हैं। ईद मोहम्मद से जुड़ी है और बकरीद इब्राहीम से। जो उनसे 2500 साल पहले हुए थे। 

आप तीनों धर्मो के पूर्वज एक थे। तीनों धर्म ग्रंथ उनका नाम आदर से लेते हैं फिर आपस में इतनी नफरत क्यों, युद्ध क्यों? कहीं क्षुद्र व न्यस्त स्वार्थों के कारण तो आपको नहीं लड़ाया जा रहा। पूछिए अपने आप से। 

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