1960 से हुई सिंधु जल संधि के तहत रावी, सतलुज और व्यास के पानी पर पानी पर अधिकार है जबकि सिंधु, झेलम और चिनाब के पानी पर पाकिस्तान का अधिकार है।
सिंधु जल संधि
1979 में पंजाब और जम्मू कश्मीर सरकारों ने पाकिस्तान का पानी रोकने के लिए रंजीत सागर बांध और डाउनस्ट्रीम शाहपुर कंडी बनाने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
समझौता
1982 में इंदिरा गांधी ने इस परियोजना की नींव रखी, रणजीत सागर बांध 2001 में पूरा हो गया किंतु शाहपुर कंडी बैराज नहीं बन सका और रावी नदी का पानी पाकिस्तान की ओर बहता रहा।
नींव
पंजाब के पठानकोट जिले में स्थित शाहपुर कंडी बैराज जम्मू कश्मीर व पंजाब के बीच विवाद के कारण रुका हुआ था। हालांकि इस परियोजना को 2008 में ही राष्ट्रीय परियोजना घोषित कर दिया गया था।
विवाद
Satlujविश्व बैंक की देखरेख में 1960 से हुई सिंधु जल संधि के तहत रावी, सतलुज और व्यास के पानी पर पानी पर अधिकार है जबकि सिंधु, झेलम और चिनाब के पानी पर पाकिस्तान का अधिकार है।
सिंधु जल संधि
2018 में केंद्र की मध्यस्थता की और दोनों राज्यों में समझौता कराया। अब इस परियोजना को पूरा कर भारत ने रावी के पानी की पाकिस्तान जाने से रोक दिया है।
मध्यस्थता
1150 क्यूसेक पानी से जम्मू कश्मीर के 32,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी। पन बिजली भी पैदा होगी। जम्मू कश्मीर के साथ पंजाब व राजस्थान को लाभ पहुंचेगा।