एक नज़र फिल्मी संगीत पर

पश्चिमी फिल्मों के विपरीत भारतीय सिनेमा में बड़े पैमाने पर गाने होते हैं जो इसका अभिन्न अंग हैं। भारत में फिल्मी संगीत बहुत लोकप्रिय है।

अभिन्न अंग

कहानी में गाने के उपयोग का विचार संगीत नाटक के कारण आया। 1920 के दशक में पश्चिम से भारत में रिकॉर्डिंग तकनीक आने के बाद फिल्म संगीत का तेज विकास हुआ।

तेज विकास

फिल्मों में गाने कहानी को आगे बढ़ाते थे। शुरू में शास्त्रीय रागों पर आधारित गाने हुआ करते थे। अनेक बार बंदिशों को गाने के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था।

शुरुआती दौर

1980 के दशक में ध्वनि प्रौद्योगिकी में आई प्रगति के बाद आर डी बर्मन, ए आर रहमान जैसे संगीत के मर्मज्ञों ने भारतीय फिल्म के संगीत को बदल दिया।

ध्वनि प्रोधौगिकी

इलेक्ट्रॉनिक ध्वनियों की प्रचुर मांग बढ़ने से अब तक की जाने वाली सिंगल ट्रैक रिकॉर्डिंग को मल्टी ट्रैक रिकॉर्डिंग में बदल दिया जो आज के संगीत के लिए बेहद अनुकूल है।

मल्टी ट्रैक

मल्टी ट्रैक ध्वनियों की विविधता बहुत होती है और त्रुटियों की संभावना कम होती है। साथ ही यह एक समय एक ट्रैक रिकॉर्ड करने की स्वतंत्रता देता है।

विविधता

सिंगल ट्रैक रिकॉर्डिंग प्रतिभाशाली संगीतकारों, गायकों व व्यवस्थापकों पर निर्भर थी जबकि मल्टी ट्रैक रिकॉर्डिंग में इनके अलावा स्टूडियो इंजीनियरों व प्रोग्रामरों का महत्त्व बहुत बढ़ गया है।

अंतर

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