मिलेट्स फसलें वातावरण से कार्बन डाई ऑक्साइड को अवशोषित करके पौधों व मिट्टी में एकत्र करती हैं जिससे भूमि के स्वास्थ्य में सुधार होता है और उसकी उर्वरा शक्ति बढ़ती है।
सुधार
इससे वातावरण की कार्बन डाइ ऑक्साइड कम होकर बायोमास के रूप में पौधों में एकत्र हो जाती है जिससे पर्यावरण व मिट्टी दोनों को लाभ पहुंचता है। इसे Carbon Sequestration कहा जाता है।
लाभ
कार्बन न्यूट्रल वे होती हैं जिनमें फसल तैयार होने में कितना कार्बन डाइ ऑक्साइड लगता है, उतना ही वे वातावरण से खींचकर बायोमास बढ़ा लेती हैं।
कार्बन न्यूट्रल
इस प्रकार ये फसलें पर्यावरण के लिए हितकारी हैं और इनसे क्लाइमेट चेंज के खतरे कम हो जाते हैं। ये कार्बन फुटप्रिंट कम करने में सहायक हैं।
कार्बन फुटप्रिंट
ये अच्छी रोटेशन फसलें हैं। चक्रण विधि से खेती करने मिट्टी की गुणवत्ता और पी एच मान सुधार होता है। खरपतवार कम लगते हैं। उत्पादन में भी वृद्धि होती है।
चक्रण
गेहूं और चावल की खेती की तुलना में मिलेट्स की फसलों में जल की खपत बहुत कम होती है। इन फसलों से जल संकट कम हो सकता है। रेगिस्तान का फैलने का खतरा कम होगा।
जल संकट
मिलेट्स फसलें जलवायु परिवर्तन (ग्लोबल वार्मिंग) और कार्बन उत्सर्जन (कार्बन फुटप्रिंट) की समस्या से निपटने में सहायक हो सकती हैं।