कुक्कुट पालन आमदनी और स्वरोजगार का अच्छा साधन है। इसमें अपार संभावनाएं हैं। देश का पोषण स्तर सुधारने में कुक्कुट व्यवसाय का विशेष महत्व है।
भारत का विश्व में स्थान
भारत अंडों के उत्पादन में विश्व में चीन और अमेरिका के बाद तीसरे स्थान पर और पोल्ट्री के मांस उत्पादन में पांचवें स्थान पर है।
गरीबों का सहारा
मुर्गी पालन गरीब समुदाय को आजीविका, स्वरोजगार और प्रोटीन युक्त खाद्य प्रदान करने में अहम भूमिका निभा रहा है। कुक्कुट उत्पादों की मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है।
स्वरोजगार की संभावनाएं
कुक्कुट पालन से देश भर के 50 लाख से भी अधिक लोग जुड़े हैं। छोटे स्तर पर शुरू करने के लिए किसी परमिशन या लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है।
कम लागत में अच्छा मुनाफा
कुक्कुट पालन में व्यक्ति अपनी क्षमता अनुसार निवेश करके जल्दी व अच्छा मुनाफा कमा सकता है। इसमें पूंजी, समय, जगह और श्रम कम लगते हैं।
साइड या मुख्य व्यापार
कम अनुभव वाले भी छोटे स्तर शुरू कर सकते हैं, सफलता के बाद स्केल बढ़ा सकते हैं। कुक्कुट पालन को साइड या मुख्य व्यापार के रूप में चलाया जा सकता है।
विशेष योग्यता आवश्यक नहीं
घर में महिलाएं एवं बच्चे भी सुगमता पूर्वक थोड़ा समय देकर कुक्कुट पालन का व्यवसाय कर सकते हैं क्योंकि इस कार्य में किसी डिग्री या विशेष ट्रेनिंग की आवश्यकता नहीं पड़ती।
प्रच्छन्न बेरोजगारी की समस्या
गांवों में समय ही समय है। बहुत कम धन, श्रम, समय, देखरेख के नौजवान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। 5-6 महीने में ही आय प्राप्त होने लगती है।
सस्ते में लाभ
इसमें पानी, बिजली आदि की आवश्यकता कम पड़ती है। घर में अनुपयोगी सामग्री जैसे भूसी, शाकभाजी, छिलके, बचा खाना आदि देकर बहुत कम व्यय में कर सकते हैं।
कम संसाधन
छोटे स्तर पर करने में पूंजी की आवश्यकता नहीं पड़ती, बड़े स्तर पर आसानी से बैंक लोन उपलब्ध है। अपनी आवश्यकता व क्षमता के अनुसार इसे छोटा या बड़ा किया जा सकता है।
बढ़ती मांग
कुक्कुट उत्पादों की मांग बढ़ती जा रही है। विज्ञापन व मार्केटिंग नहीं करनी पड़ती। स्थानीय बाजार उपलब्ध होने के कारण इन्हें ट्रांसपोर्ट से बहुत दूर नहीं भेजना पड़ता।
कैश रिच व्यवसाय
कुक्कुट पालन स्वरोजगार के लिए बहुत ही उपयुक्त है। गरीब व्यक्ति भी आसानी से, कम व्यय में पार्ट टाइम करके भी मुनाफा कमा सकता है। किसान को नकद आमदनी दिलाता है।
कोई भी कर सकता है
शहरी या ग्रामीण, पढ़ा लिखा या अनपढ़ कोई भी व्यक्ति इसे मात्र कुछ दिनों के प्रशिक्षण के बाद आसानी से शुरू कर सकता है। कुक्कुट उत्पादों की मांग बढ़ रही है।
लेयर और ब्रायलर पालन
कुक्कुट पालन अंडों और मांस के लिए किया जाता है। जब अंडों के लिए किया जाए तब इसे लेयर पालन और जब मांस के लिए किया जाए, तब इसे ब्रायलर पालन कहा जाता है।