उनका संबंध अति पिछड़े नाई समाज से था। जीवन भर भारतीय समाज में पैठ बना चुकी असमानताओं से संघर्ष करते रहे। संसाधनों के समान वितरण और अवसरों के समान लाभ के पक्षधर थे।
कब क्या ?
1952 में बिहार विधान सभा के लिये सोशलिस्ट पार्टी से विधायक चुने गए। 1967 में बिहार के उप मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री बने। 1970 में श्रमिकों के हित में 28 दिन का आमरण अनशन।
मुख्यमंत्री
1970 में पहले गैर कांग्रेस सोशलिस्ट मुख्यमंत्री बनें। 1977 में दूसरी बार जनता पार्टी से बिहार के मुख्यमंत्री बने।
आवाज
श्रमिक वर्ग, मजदूर, छोटे किसानों और युवाओं के संघर्ष की सशक्त आवाज बने। गरीबों को शिक्षा मुहैया कराने में जुटे रहे। वे स्थानीय भाषाओं में शिक्षा दिए जाने के प्रबल पक्षधर थे।
वंचित वर्ग
उन्होंने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए माहौल बनाने की शुरुआत की थी। साथ ही पिछड़े वर्गो के बीच सबसे ज्यादा वंचितों को अलग से आरक्षण बात की थी।
निधन
मात्र 64 की उम्र में 1988 में उनके निधन के बाद लोग श्रद्धांजलि देने उनके गांव गए। तब कर्पूरी जी के घर की हालत देखकर उनकी आंखें भर आई। इतने बड़े नेता का घर इतना साधारण सा कैसे ?