कभी विदेशी घड़ियां, आई फोन या बड़ी कार स्टेटस सिंबल हुआ करते थे। आजकल देश से बाहर जाकर ब्याह रचाना सबसे बड़ा स्टेटस सिंबल बनता जा रहा है।
बदलते स्टेटस सिंबल
नए बने अमीरों में एक नई खुराफात रोप दी गई है और वह है डेस्टिनेशन वेडिंग। किसी विदेशी आइलैंड पर जाकर शहनाई सुनने का रिवाज जोर पकड़ रहा है।
नई खुराफात
इसी बढ़ते चलन को देखकर मोदी जी ने आवाहन किया है कि अपने देश में हो ब्याह रचाओ ताकि देश के व्यवसाय फले फूलें ।
पी एम मोदी
शादी में लाखों के सूट, साड़ी, लहंगे, गहने खरीदे जाते हैं। खानपान और उपहारों का खर्च भी लाखों करोड़ों छू जाता है। टेंट, फोटो, लाइट, साउंड, बैंड आदि का खर्च कम नहीं होता।
बड़ा व्यय
देश में शादियां हों तब यह सारा पैसा अपने मुल्क में ही घूमता है। कितनों का कारोबार बढ़ता है और कितनों को रोजगार मिलता है।
मुल्क को लाभ
दुनिया के दूसरे देशों में जाकर फेरे लेने मतलब है अपने मुल्क का पैसा दूसरे देशों में जाकर लुटाना। डेस्टिनेशन वेडिंग में पैसे ही नहीं अपने रीति रिवाजों की धज्जियां उड़ जाती हैं।
घाटा
अगर गंतव्य विवाह करने ही हैं तो अपने देश में पुराने महलों से लेकर पहाड़ी, समुद्र तट, बाग बगीचों, जंगल आदि सभी स्थानों पर फाइव स्टार स्तर की सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हैं।
गंतव्य विवाह
फिर फ्लाइटों और विदेशी लोकेशनों में पैसे फूंकने का क्या औचित्य है। आखिर दो चार दिन की डेस्टिनेशन वेडिंग में क्या मिल जाएगा ?
औचित्य
देश में शादी होगी तो चूल्हा न्यौत दिया जाता है पर डेस्टिनेशन वेडिंग में मुंह देख देख बुलावा दिया जाता है। कई करीबी बाट देखते रह जाते हैं। जीवन भर का बिगाड़ हो जाता है।