रोहिणी आयोग का गठन अनुच्छेद 340 के तहत हुआ था। भारत का राष्ट्रपति अनुच्छेद 340 के अनुसार राष्ट्रपति पिछड़े वर्गो की जांच व उनकी दशा में सुधार करने के लिए आयोग का गठन कर सकता है।
कब प्रारंभ ?
रोहिणी आयोग 2अक्टूबर 2017 को अधिसूचित किया गया।इसे दिल्ली हाईकोर्ट के सेवा निवृत्त मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रोहिणी की अध्यक्षता में बनाया गया था।
समस्या क्या है?
ओबीसी आरक्षण लाभ का अधिकांश हिस्सा प्रभावशाली ओबीसी समूहों द्वारा प्राप्त किया जा रहा है,इसलिए ओबीसी के भीतर अत्यंत पिछड़े वर्गों के लिए उप कोटे को मान्यता देना अति आवश्यक है।
सौपें गए कार्य
* केंद्र की ओ बी सी लिस्ट में शामिल करीब 2500 ओ बी सी जातियों की सब कैटेगरी तय करना।* 27 फीसदी कोटा को उनके अनुपात में किस तरह दिया जाए,इसकी जांच करना।
उप वर्गीकरण जरूरी
*अनेक ओबीसी समुदाय ऐसे हैं जो सामाजिक आर्थिक तौर पर ज्यादा संपन्न है।*ओबीसी के 37% समुदायों का नौकरियों में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।*आरक्षण के फायदों का बंटवारा असमान है।
उप वर्गीकरण जरूरी
*ओ बी सी को नौकरियों व शैक्षणिक संस्थानों में 27% आरक्षण मिलता है।*ओ बी सी के उप वर्गीकरण की सकारात्मक कार्यवाही से वंचित समुदायों को ज्यादा अवसर व लाभ मिलेगा।
ओ बी सी में तीन वर्ग
सर्वप्रथम 2015 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने ओ बी सी को तीन वर्गों में बांटने की सिफारिश की थी। पिछड़ा, अति पिछड़ा, सबसे पिछड़ा
रिपोर्ट सौंपी
रोहिणी आयोग की रिपोर्ट 31जुलाई 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार 97% ओ बी सी आरक्षण के प्रमुख लाभार्थी में हैं कुर्मी, यादव, जाट, सैनी, थेवर, वोकलिंगा।
विश्लेषण
आयोग ने 2018 में पिछले पांच वर्षो में ओ बी सी कोटे के तहत दी गई केंद्र सरकार की 1.3 लाख नौकरियों का विश्लेषण किया। साथ ही IIT, NIT, IIM, AIIMS के प्रवेश के आंकड़ों का भी विश्लेषण किया।
ओ बी सी के लिए आरक्षित सभी नौकरियों व शिक्षा संस्थानों का 97% हिस्सा ओ बी सी केवल 25% हिस्से को प्राप्त हुआ। 24.95% हिस्सा केवल 10% ओ बी सी समुदायों को प्राप्त हुआ।
97% हिस्सा 25% को
नौकरियों व शैक्षणिक संस्थानों में 983 ओ बी सी समुदायों (कुल का 37%) का प्रतिनिधित्व शून्य है और 994 ओ बी सी उपजातियों का कुल प्रतिनिधित्व केवल 2.68% है।
बहुत कम भागीदारी
ओ बी सी की कुल 2650 जातियों में ओ बी सी की 1977 जातियों की नौकरियों व शैक्षणिक संस्थानों में नगण्य आरक्षण का लाभ मिल रहा है।सामाजिक न्याय के अंदर हो रहे इस घोर अन्याय को तत्काल रोक लगे।
घोर अन्याय
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी आरक्षण हेतु अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जन जातियों के उप वर्गीकरण पर भी टिपण्णी की है।इसे सुप्रीम कोर्ट में कोटा के अंतर्गत कोटा (Quota within Quota) कहा जा रहा है।