गुड़ एक प्राकृतिक स्वीटनर है। यह चीनी का बहुत कॉमन और स्वास्थ्यवर्धक विकल्प है। चीनी की जगह प्रयुक्त होने के बावजूद इसका स्वाद चीनी से अलग होता है।
स्रोत
गुड़ और चीनी दोनों का सबसे प्रमुख स्रोत गन्ना होता है बस गुड़ नेचुरल प्रोडक्ट है जबकि चीनी की रिफाइनिंग और प्रोसेसिंग में रसायनों का प्रयोग होता है।
कैसे बनते हैं ?
चीनी गन्ने के रस को संघनित ( condensing) और क्रिस्टलीकृत (Crystallising) करके तैयार की जाती है जबकि गुड़ गन्ने के रस को उबाल कर, गाढ़ा कर व सुखाकर तैयार किया जाता है।
पोषक तत्त्वों से भरपूर
गुड़ पोषक तत्त्वों से भरपूर होता है। गुड़ मीठे की क्रेविंग्स पूरा करने के साथ न्यूट्रिएंट्स की कमी को भी पूरा करते हैं।
रंग
गुड़ का रंग हल्के पीले रंग से लेकर गाढ़े भूरे रंग का हो सकता है। जिन गुणों की रिफाइनिंग नहीं होती वो गहरा भूरा और काला होता है। जितना पुराना उतना कालापन बढ़ता जाता है।
गुड़ से बनी चीजें
शहर से लेकर गांव तक लोकप्रिय। चाय, खीर, गुड़ दूध, मिठाई, कैंडीज़, चॉकलेट, डिजर्टस, चिक्की, गजक, गुड़ पारे, लड्डू, गुलगुले, शरबत, अल्कोहल, रम आदि
कितना सेवन करें ?
गुड़ का सेवन सामान्यतया 10ग्राम से अधिक गुड़ का सेवन न करें । 20 ग्राम प्रति दिन से अधिक सेवन हानिकारक है क्योंकि इसमें कैलोरी अधिक होती है। इसलिए सीमित मात्रा में ही लाभकारी है।
अगले अंक में
अगले अंक में देखेंगुड़ vs चीनीक्या है बेहतर? (भाग दो)