छठ महापर्व 

क्या है लक्ष्य ? कौन हैं छठी मईया ?  विभिन्न मान्यताएं 

छठ पर्व का लक्ष्य 

छठ महापर्व निःसंतानों को संतान देने, संतानों की रक्षा करने और उनकी मनोकामनाओं की पूरा करने के लिए मनाया जाता है। 

सूर्य की बहन 

छठी मईया सूर्य देवता की बहन और ब्रह्मा जी की मानस पुत्री हैं। छठी माता उनके भाई सूर्य के पूजन से खुश होकर हमारी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। 

कात्यायनी 

छठी माता को मां दुर्गा का रूप कात्यायनी के रूप में भी जाना जाता है। इस प्रकार छठी माता मां दुर्गा के अनेक रूपों में एक है। 

वैदिक संस्कृति  

छठ महापर्व वैदिक काल से चला आ रहा है। इसमें वैदिक आर्य संस्कृति की स्पष्ट झलक दिखती है। ऋग्वेद में भी सूर्य, ऊषा, प्रकृति आदि के पूजन का खूब उल्लेख मिलता है। 

अदिति 

देवासुर संग्राम में देवताओं के कमजोर पड़ने पर देवताओं की माता अदिति ने सूर्य मंदिर में जाकर छठी मईया की आराधना की। 

आदित्य 

तब छठी माता की कृपा से अदिति को तेजस्वी पुत्र आदित्य हुआ, जिसने देवताओं को असुरों पर विजय दिलाई। 

अंग देश  

सूर्य पूजा का महाभारत में बहुत उल्लेख मिलता है। आज के बिहार के भागलपुर, जमालपुर, मुंगेर आदि अंग देश कहलाते थे। 

कर्ण

अंग देश पर सूर्य के प्रबल उपासक कर्ण का शासन था। कर्ण को सूर्य पुत्र भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि महाभारत के समय छठ पूजा कर्ण के द्वारा प्रारंभ की गई। 

अन्य वृतांत 

माता सीता द्वारा छठ पूजा, द्रौपदी द्वारा पारिवारिक सुख हेतु छठी मैया की पूजा और राजा प्रियव्रत की कथा का उल्लेख पौराणिक साहित्य में है।