गोडावण पक्षी क्यों मर रहे हैं ? क्यों भाग रहे है पाकिस्तान ? ( भाग दो )

खतरा

राजस्थान का राज्य पक्षी गोडावण पक्षी गंभीर रूप से संकटग्रत है। इनकी आबादी 1969 में 1960 थी जो 2018 में घटकर 150 रह गई है। कहीं ये डोडो की तरह विलुप्त न हो जाए।

थार

4200 वर्ग किमी. में फैले थार के रेगिस्तान में बिजली कंपनियों ने हाईटेंशन लाइनों का जाल बिछा दिया है। सैकड़ों विंड और सोलर प्रोजेक्ट लग गए हैं।

आंखें

इस विशालकाय पक्षी की आंखें उसके माथे के दोनों तरफ होती है, इसलिए वह खतरों को भांप नहीं पाता और उड़ान भरते समय हाईटेंशन लाइनों से टकरा जाता है।

उड़ान

ये उड़ते हुए तेज़ी से मुड़ नहीं पाते, उनके डैने तारों में उलझ जाते हैं, अगर तार से निकल भी आए, तब ऊंचाई से गिरने से मर जाते हैं।

सोलर

रात में चांद की रोशनी में चमकती सोलर प्लेट्स इनको ऐसी नजर आती है जैसे नीचे विशाल जल राशि हो, नीचे आने पर पैनी प्लेट्स इनके कोमल डैनो को काट डालती हैं।

इंदिरा नहर

इंदिरा गांधी नहर क्षेत्र में बढ़ती कृषि गतिविधियों और हाई टेंशन लाइनों की भरमार के कारण गोडावण पक्षियों का पाकिस्तान की ओर पलायन शुरू हो गया है।

अगले अंक में 

अगले अंक में क्या हो रहे बचाव के उपाय ? क्या ये प्रभावी हैं ?

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