सनातन धर्म में पीपल को वृक्षों का राजा माना जाता है। आइए, जानते हैं कि हिंदू धर्म में क्यों पीपल पूजना शुभ व लाभकारी माना जाता है।
पीपल को अक्षय वृक्ष इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये पेड़ कभी पत्ता विहीन नहीं होता। एक साथ पतझड़ नहीं आता। पत्ते झड़ते रहते हैं और नए आते रहते हैं।
अक्षय वृक्ष भाग एक
प्राचीन समय में ऋषि मुनि पीपल के नीचे ही यज्ञ या धार्मिक अनुष्ठान करते थे। इसी खूबी के कारण मान्यता है कि पीपल के नीचे तप करने से फल अक्षय होता है।
अक्षय भाग दो
पीपल को मूर्तिमान विष्णु के रूप में पूजा जाता है। इसमें सभी देवताओं का वास होता है। ब्रह्मा जड़ में, विष्णु तना में और शिव का पत्ती में निवास है जो त्रिमूर्ति का प्रतीक है।
त्रिमूर्ति
कृष्ण से संबंधित है। गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं, हे पार्थ, 'वृक्षों में मैं पीपल हूं। ' इस वृक्ष के नीचे ही कृष्ण की मृत्यु हुई थी जिसके पश्चात कलयुग का आरंभ हुआ।
कृष्ण
गौतम बुद्ध से संबंधित है। कहते है कि गौतम बुद्ध को बोध गया बिहार स्थित बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था ।