हमें क्यों टैक्स देना चाहिए ?
अधिकांश लोगों को टैक्स देना बुरा लगता है और वो टैक्स को लेकर कुढ़ते रहते हैं। आइए, जरा मामले की तह तक जाएं।
क्या है लैसे फेयर की नीति ?
एडम स्मिथ जैसे अनेक विचारक लैसे फेयर की नीति को मानते हैं जिसके अनुसार सरकार को जनता के मामलों में बिल्कुल हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।मुक्त बाजार और पूर्ण स्वतंत्रता के पक्षधर हैं। नव उदारवादी भी सरकार द्वारा टैक्स लिए जाने के खिलाफ हैं।
क्या है वेलफेयर स्टेट ?
लेकिन ये उचित नहीं लगता है। अनेक लोगों को जे एस मिल, लास्की आदि का वेलफेयर स्टेट या लोकहितकारी की धारणा ठीक लगती है। यह अहस्तक्षेप पूंजीवाद और साम्यवाद के बीच की व्यवस्था है।
हमारे टैक्स देने से ही विकास के कार्य होते हैं ?
हम जब टैक्स देते हैं उसी से तो सीमाओं की सुरक्षा होती है, सड़कें बनती हैं,पुल बनते हैं, गरीबों की दवाई पढ़ाई की व्यवस्था हो पाती है।
कल्याणकारी राज्य साम्यवाद से अलग
कल्याणकारी राज्य साम्यवाद से अलग है। साम्यवाद में संसाधनों को बराबर बराबर बांटने की बात कही गई है। शायद यहीं कार्ल मार्क्स मानव स्वभाव को ठीक से नहीं समझ पाए जिसे शायद हॉब्स ने अधिक ठीक से समझा था। इक्वैलिटी थोपने से मोटिवेशन मर जाता है।फिर आदमी भला काम ही क्यों करेगा।
हॉब्स और व्यक्तिगत स्वतंत्रता
हॉब्स राज्य में व्यक्तियों को अपना व्यापार करने, संपत्ति का क्रय विक्रय करने, किसी भी स्थान पर रहने, शिक्षा प्राप्त करने जैसी स्वतंत्रता प्रदान करता है।
साम्यवादी देशों ने पूंजीवादी तौर तरीकों को अपना लिया
साम्यवादी देशों चीन और रूस ने इसे जल्दी ही समझ लिया और उन्होंने अनेक पूंजीवादी तौर तरीकों को अपना लिया। चीन ने तो बहुराष्ट्रीय कंपनियों को पूंजीवादी देशों से भी अधिक सुविधाएं दीं। इन देशों ने जब देखा साम्यवाद से उत्पादन ही नहीं बढ़ेगा, विकास नहीं होगा, गरीबी बनी रहेगी तब इक्वैलिटी थोपकर भी गरीब बने रहेंगे।
कार्ल मार्क्स और दो तरह की इक्वैलिटी
कार्ल मार्क्स ने भी दो तरह की इक्वैलिटी बताई है
नेचुरल इक्वैलिटी और सोशल इक्वालिटी
कोई गरीब देश है और वहां का उत्पादन बहुत कम है। वहां के समस्त संसाधनों को यदि वहां के लोगों में बराबर बराबर बांट भी दिया जाए तो भी सब गरीब ही रहेंगे। इसे मार्क्स ने प्राकृतिक समानता कहा है।
कोई देश बहुत अमीर है और अगर उसके संसाधनों को परस्पर बराबर बांट दिया जाए, तब तमाम गरीबों का जीवन सुधर जाएगा।यहां समस्या वितरण में थी। यह सामाजिक समानता है।
संपत्ति का सकेंद्रण रोकते हुए न्यायसंगत वितरण करना होगा
भारत को तेज विकास करते हुए अर्थव्यवस्था को बहुत बड़ा बनाना होगा साथ ही संपत्ति का सकेंद्रण रोकते हुए उपलब्ध भौतिक संसाधनों का न्यायसंगत वितरण करना भी सुनिश्चित करना होगा।
कल्याणकारी राज्य की अवधारणा
वेलफेयर स्टेट या कल्याणकारी राज्य की अवधारणा उदारवाद और पूंजीवाद के विरोध की नहीं है। पूजीवाद की खामियों को दूर करने का प्रयास है। पूंजीवाद को सामाजिक कल्याण से जोड़ा गया है ताकि संसाधनों की विषमता कम होती जाए और बंटवारा बेहतर होता जाए। साथ ही पूंजीवाद के अनेक मूल्य जैसे प्रतिस्पर्धा, उद्यमशीलता, स्वतंत्रता आदि बने रहे।
क्या है प्रोग्रेसिव टैक्सेशन ?
इसी कारण उन्होंने प्रोग्रेसिव टैक्सेशन का समर्थन किया यानी आप जितने अमीर होंगे आपसे उतना अधिक टैक्स लिया जायेगा।अमीरों से ज्यादा पैसा टैक्स के रूप में ले लिया जाए और गरीबों से टैक्स न लिया जाए। गरीबों के मास कंजप्शन जैसे आटे, नमक, चीनी आदि को भी करों से मुक्त रखा गया है।
अमीरों से लेकर गरीबों में बांटना
कल्याणकारी राज्य का कार्य है कि एक तरह से अमीरों से धन लेकर गरीबों में बांटना है ताकि गरीबों का जीवन स्तर सुधर सके। भारत भी एक वेलफेयर स्टेट या कल्याणकारी राज्य है।
कल्याणकारी संविधान
संविधान की प्रस्तावना में सामाजिक, न्याय, स्वतंत्रता, समानता की स्थापना की बात है। मूल अधिकार 14, 15, 16, 17 और 18 समानता से संबंधित है।अनुच्छेद 21(a) में अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान है। 23 व 24 शोषण के विरुद्ध अधिकार देते हैं।
भारत एक कल्याणकारी राज्य
भारत के संविधान के भाग 4 में नीति निर्देशक सिद्धांत यह घोषणा करते हैं कि भारत एक कल्याणकारी राज्य है।कल्याणकारी राज्य का दायित्व गरीबों और दबे कुचले लोगों की रक्षा करना है। उनके लिए पर्याप्त आजीविका के साधन उपलब्ध कराना है। संपदा का केंद्रीकरण कुछ हाथों में न होने पाए।भौतिक संसाधनों का न्यायसंगत वितरण हो।
समान कार्य पर समान वेतन का अधिकार हो उद्योगों के प्रबंधन में श्रमिकों की भागीदारी हो। शिक्षा और काम का अधिकार हो। बेरोजगार, बीमार, विकलांग, वृद्ध प्रसूता महिलाओं, गरीब, पिछड़ा, अनुसूचित जाति और जनजातियों आदि को राज्य से सहायता प्राप्त करने का अधिकार हो।
कल्याणकारी योजनाएं
हमारा देश एक वेलफेयर स्टेट है इसीलिए यह अमीरों से धन लेकर गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाएं निकालता है जैसे जन धन, मनरेगा, आयुष्मान भारत, सड़क, बिजली, पानी, गरीबों की पढ़ाई दवाई का इंतजाम आदि
समावेशी विकास क्या है ?
यही तो समावेशी विकास है और मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं है। जब तक हमारे देश का बच्चा बच्चा मजबूत नहीं होगा, देश कैसे सशक्त बन सकता है।
भारत एक वेलफेयर स्टेट : संपत्ति का केंद्रीयकरण रोककर गरीबों और दबे कुचलों की जीवन स्तर सुधारना है।
हमारे संविधान के अनुसार भारत एक वेलफेयर स्टेट या कल्याणकारी राज्य है। संपत्ति का केंद्रीयकरण रोककर गरीबों और दबे कुचलों की जीवन स्तर सुधारना है । अगर सरकारें हमारी कड़ी मेहनत से अर्जित धन से कुछ धन लेकर गरीबों पर व्यय कर रही है तब हमें जरा सा भी गुरेज नहीं है पर क्या वो वाकई ऐसा कर रहीं हैं। सारा मसला यहीं पर है। अगले अंक में देखिए टैक्स देने से क्यों होती है तकलीफ ?