मिलेट्स किसानों के लिए कैसे हैं हितकारी ?

Date:

मिलेट्स किसानों के लिए कैसे हैं हितकारी ?

क्या है भारत सरकार की है मिलेट्स लिस्ट ?

किसानों के लिए मिलेट्स लिस्ट)img

Table of Contents

भारत सरकार ने इस कार्य हेतु एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई और उसकी संस्तुति के आधार पर भारत सरकार के राजपत्र या The Gazette of India में एक मिलेट्स लिस्ट प्रकाशित की है। इसमें 8 Millets और दो Pseudo Millets दिए गए हैं।

मोटे अनाजों का वर्गीकरण इस प्रकार किया गया है ।

  1. बड़े दाने वाले मोटे अनाज               2. छोटे दाने वाले मोटे अनाज         3. प्रच्छन्न मोटे अनाज

बड़े दाने वाले मोटे अनाज Millets List)img

बड़े दाने वाले मोटे अनाज

  1. सावा (Barnyard Millet) 5. चीना. (Proso Millet) 6. काकुन या कंगनी (Foxtail Mil)
  2. कोदो. (Kodo Millet) 8.                कुटकी. (Little Millet)

Millets List of Government)img

प्रच्छन्न मोटे अनाज

कुट्टू (Buckwheat)

रामदाना (Amaranthus)

भारत सरकार द्वारा 10 मिलेट्स Millets)img

क्यों किया गया कुट्टू और रामदाना को मिलेट्स लिस्ट में शामिल ?

भारत सरकार द्वारा 10 मिलेट्स में कुट्टू और रामदाना को अनाज (मिलेट्स) के रूप में शामिल किया है तो प्रश्न उठता है कि क्या ये वाकई में अनाज हैं ? अगर ये अनाज है तो हम इसको सदियों से आज तक व्रत में फलाहार के रूप में क्यों खाते रहे हैं ? कुट्टू और रामदाना से उपवास के लिए अनेक तरह के व्यंजन बनाने की परंपरा लम्बे समय से चली आ रही है। इनके द्वारा बनाये जाने वाले लोकप्रिय व्यंजन हैं पूड़ी, पराठे, चीला, कचौड़ी, पकौड़ी, हलवा, लड्डू, इडली, डोसा आदि।

ये भी पढ़े: सर्दियों की रानी पेटूनिया की कहानी

कुट्टू और रामदाना हैं फलाहार

कुट्टू एवं रामदाना के फल के बीज को पीसकर आटा तैयार किया जाता है। ये Pseudo Millets वास्तव में मिलेट्स नहीं हैं। ये पौधों के फल हैं और सदियों से इनका सेवन फलाहार के रूप में किया जाता रहा है।

कुट्टू और रामदाना मिलेट्स लिस्ट में शामिल करने का कारण

फिर प्रश्न उठता है कि भारत सरकार इस को अनाज के रूप में क्यों प्रमोट कर रही है ? इसके लिए हम भारत सरकार द्वारा जारी किए गए सरकारी गजट को देखते हैं। इस गजट के अनुसार 8 मिलेट्स फसलों के अलावा कुट्टू और रामदाना को भी इसलिए मिलेट्स की श्रेणी में सम्मिलित किया गया है क्योंकि इनके गुण और पोषक तत्व मिलेट्स जैसे ही होते हैं ।

अतः इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर 2023 के दौरान इनको प्रचारित और प्रसारित करने के लिए मिलेट्स के साथ सम्मिलित किया गया है। इसी कारण भारत सरकार इनका मिलेट्स के रूप में  जोर शोर से प्रचार प्रसार कर रही है ताकि अन्य मिलेट्स के साथ इनके भी उत्पादन, उपभोग और व्यापार को बढ़ावा दिया जा सके।

कुट्टू और रामदाना मिलेट्स लिस्ट Millets List)img

किसानों के लिए बहुत लाभकारी हैं मिलेट्स। आइए, आपको बताते कैसे ?

बहु उपयोगी फसलें

मिलेट्स बहु उपयोगी फसलें हैं। इनका खाद्य, पशु चारा, ईंधन, दवाइयां एवं अन्य मूल्य संवर्धित उत्पादों के रूप में उपयोग किया जाता है।

किसानों के लिए बहुत लाभकारी हैं मिलेट्स Millets Lists)img

मुख्य भोजन का विकल्प

मोटे अनाज भारत सहित अनेक देशों के देशज अनाज है और यह मुख्य भोजन का विकल्प बन सकते हैं।

ये भी पढ़े: भारतीय समाज में उपहार देने की परंपरा

अनेक संकटों का समाधान

ये जल की कमी के संकट ,रेगिस्तान फैलने की समस्या, जलवायु परिवर्तन (ग्लोबल वार्मिंग) और कार्बन उत्सर्जन (कार्बन फुटप्रिंट्स) की समस्या से निपटने में सहायक हो सकते हैं। विपरीत परिस्थितियों में उत्पादन

मिलेट्स शुष्क क्षेत्रों और कम उपजाऊ भूमि में भी अच्छी उपज दे सकते हैं। सूखा सहन करने की क्षमता होती है। मिलेट्स का खराब भूमि और विपरीत परिस्थितियों में उत्पादन हो सकता है । सूखा, ओला, पाला पड़े या अतिवृष्टि हो, ये उत्पादन देते हैं। मिलेट्स का ऐसी खराब भूमि और विपरीत परिस्थितियों उत्पादन हो सकता जहां गेहूं और चावल के उत्पादन के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता।

कम लागत में अधिक लाभ

इनमें बीज, उर्वरक, कीटनाशक, सिंचाई जल आदि कृषि निवेश कम लगने से किसानों को कम लागत में अधिक लाभ मिलता है। सामान्यतया इनका मूल्य गेहूं की तुलना में अधिक होता है। इसीलिए किसानों के लिए बेहद उपयुक्त फसलें हैं।

मिलेट्स में उर्वरक कम लगते हैं

मिलेट्स की खेती में उर्वरक कम लगते हैं। एक हेक्टेयर भूमि में चावल को लगभग 100 से 120 किग्रा नाइट्रोजन, 40 से 60 किग्रा फास्फोरस और 40 से 60 किग्रा पोटेशियम की आवश्यकता पड़ती है जबकि गेहूं को 80 से 100 किग्रा. नाइट्रोजन, 40 से 60 किग्रा. फास्फोरस और 40 से 60 किग्रा. पोटेशियम की आवश्यकता पड़ती है। इनकी तुलना में मिलेट्स को बहुत कम 50 से 60 किग्रा. नाइट्रोजन, 20 से 40 किग्रा. फास्फोरस और 20 से 40 किग्रा पोटेशियम की ही आवश्यकता पड़ती है।

मिलेट्स में उर्वरक कम लगते हैं Millets Lists)img

मिलेट्स की खेती में पानी की खपत कम

मिलेट्स की खेती में पानी की खपत कम होती है। चावल की फसल को 2500 से 4000 क्यूबिक मीटर जल प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता पड़ती है जबकि गेहूं की फसल को 300 से 400 मिली मीटर जल प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता पड़ती है। मिलेट्स को चावल और गेहूं की तुलना में बहुत कम 150 से 250 मिलीलीटर जल प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता पड़ती है।

ये भी पढ़े: परंपराओं और आस्थाओं का त्यौहार छठ महापर्व

कम दिनों में तैयार

मिलेट्स फसलें गेहूं और चावल की तुलना में कम दिनों में तैयार हो जाती हैं। मिलेट्स जल्दी 60 से 90 दिनों में तैयार होने वाली फसलें हैं  जबकि गेहूं को तैयार होने में 120 से 180 और चावल को तैयार होने में 110 से 150 दिन लग जाते हैं। अतैव मिलेट्स से किसान एक वर्ष में अधिक  फसलें  ले सकते हैं। जिससे किसानों को अधिक आय की प्राप्ति होती है।

रोग प्रतिरोधी फसलें Millets Lists)img

रोग प्रतिरोधी फसलें

ये रोग प्रतिरोधी फसलें हैं। इनमें कीट व व्याधि कम लगने से किसानों की लागत कम हो जाती है।

अन्तरवर्ती फसलें भी

मिलेट्स में अन्तरवर्ती फसलें भी सफलता पूर्वक ली जा सकती हैं।

अच्छी रोटेशन फसलें 

मिलेट्स अच्छी रोटेशन फसलें हैं जो भूमि की उर्वरता बनाए रखने और अन्य फसलों को कीट व रोगों बचाए रखने में सहायक हैं। चक्रण विधि से खेती करने मिट्टी की गुणवत्ता और पी एच मान में भी सुधार होता है। खरपतवार भी कम लगते हैं। उत्पादन में भी वृद्धि होती है।

रोटेशन फसलें Millets Lists)img

कार्बन सिक्वेस्ट्रेशन

मिलेट्स फसलें वातावरण से कार्बन डाइ ऑक्साइड को अवशोषित करके पौधों व मिट्टी में एकत्र करती हैं जिससे भूमि के स्वास्थ्य में सुधार होता है और उनकी उर्वरा शक्ति बढ़ती है। इससे वातावरण की Co2 कम होकर बायोमास के रूप में पौधों में एकत्र हो जाती है जिससे पर्यावरण और मिट्टी दोनों को बहुत लाभ पहुंचता है। इसे कार्बन सिक्वेस्ट्रेशन (Carbon Sequestration) कहा जाता है।

क्लाइमेट चेंज के खतरे Climate Change)img

क्लाइमेट चेंज के खतरे कम

कार्बन न्यूट्रल फसलें वे होती हैं जिनमें फसल तैयार होने में कितना कार्बनडाइ ऑक्साइड लगता है, उतना ही वे वातावरण से खींचकर बायोमास बढ़ा लेती हैं। इस प्रकार ये फसलें पर्यावरण के लिए हितकारी हैं और इनसे क्लाइमेट चेंज के खतरे कम हो जाते हैं। ये कार्बन फुटप्रिंट कम करने में सहायक हैं।

भंडारण लंबे समय Millets Lists)img

भंडारण लंबे समय तक

ये सस्ते होते हैं और इनका भंडारण लंबे समय तक किया जा सकता है। इनको पैदा कर अनेक वर्षों तक खाया जा सकता है। मिलट प्रोडक्ट्स की शेल्फ लाइफ भी गेहूं व चावल से बने प्रोडक्ट्स की तुलना में अधिक होती है।

किसानों के लिए हितकारी Millets Lists)img

किसानों के लिए हितकारी

इस प्रकार मिलेट्स अधिक लाभप्रद, पौष्टिक और पर्यावरण अनुकूल विकल्प हैं। ये किसानों और उपभोक्ता दोनों के लिए हितकारी हैं इसीलिए ये एक बार फिर खेत और प्लेट में लौटने लगे हैं।

Millets Lists According to Govt of India)img

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

क्यों खाएं मोटे अनाज ?

इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स 2023  मिलेट्स या मोटे अनाजों का खूब हल्ला मचा है क्योंकि पूरा विश्व 2023 को...

तुलसी के लाभ व धार्मिक महत्त्व

तुलसी के लाभ व धार्मिक महत्त्व तुलसी पौधा मात्र न होकर, हिंदू घरों का अहम हिस्सा  सनातन धर्म में तुलसी...