भारत में शतरंज के टेलेंट का विस्फोट
विश्व शतरंज में भारत की विजय का डंका
अंतराष्ट्रीय शतरंज में भारत की दूसरी रैंक है जो शतरंज में देश की मजबूत स्थिति को दर्शाता है। भारत में शतरंज की नई पौध लहलहा रही है, उसकी धमक विश्व पटल पर स्पष्ट सुनाई पड़ रही है।यह जेनरेशन शिफ्ट हो रहा है।
प्रज्ञानंदा दूसरे नंबर पर
हाल ही में बाकू, अजरबेगान में संपन्न विश्व कप शतरंज भारत के प्रज्ञानंदा विश्व के नंबर दो और नंबर तीन खिलाड़ियों को परास्त करके फाइनल में स्थान बनाया, जहां विश्व के शीर्ष खिलाड़ी नॉर्वे के मैग्नस कार्लसन से दो मैच ड्रॉ खेलने के बाद टाई ब्रेकर में हार का सामना करना पड़ा। प्रज्ञानंद हारे जरूर, पर अपने दमदार खेल से उन्होंने दिल जीत लिया। अमेरिका के फैबियानो कारूआना तीसरे और अजरबेजान के अबासोव चौथे स्थान पर रहे।
अंतिम आठ में चार भारतीय
उल्लेखनीय यह है कि इस विश्व कप में चार भारतीय, अंतिम आठ खिलाड़ियों में स्थान बनाने में कामयाब रहे। शेष तीन खिलाड़ी रहे,अर्जुन एरिगेसी, डोम्मराजू मुकेश, विदित गुजराती। विदित गुजराती ने बाहर होने से पहले विश्व के पांचवीं वरीयता प्राप्त खिलाड़ी को परास्त किया। हाल ही में अर्जुन एरिगैसी ने शारजाह मास्टर्स अंतराष्ट्रीय शतरंज चैंपियनशिप 2023 में जीत दर्ज की है।
तीसरे सबसे कम उम्र के
प्रज्ञानंदा ने विश्व कप के दौरान ही अपना 18वां जन्मदिन मनाया। फाइनल में जगह बनाने के बाद,प्रज्ञानंदा दिग्गज बॉबी फिशर और कार्लसन के कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई करने वाले तीसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए।
आयु भारत के पक्ष में
ये भारत में शतरंज की नई पौध लहलहा रही है, उसकी धमक विश्व पटल पर स्पष्ट सुनाई पड़ रही है।यह जेनरेशन शिफ्ट हो रहा है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि विश्व शतरंज के अनेक खिलाड़ी अपने पीक के करीब हैं जैसे कार्लसन 33,नाकामुरा 37, करूआना 31, डींग लॉरेन 31, इयान 31।
भारत के शतरंज के टीन एजर्स तेजी से सीढ़ियां चढ़ रहे हैं। विश्व के बीस वर्ष के नीचे टॉप 100 खिलाड़ियों में से 20 भारत के हैं।टॉप 10 में चार प्रज्ञा, गुकेश, एरिगाइसी और सरीन और टॉप 20 में सात नौजवान भारत से हैं। इसके अतिरिक्त विश्व के सबसे कम उम्र के ग्रैंड मास्टर 14 साल के अमेरिकन अभिमन्यु मिश्र भी भारतीय मूल के हैं।
आगे आने वाला समय हमारा
चेस बहुत ही मानसिक श्रम वाला खेल है। पुरानी पीढ़ी जाने वाली है, उनके स्थान पर नई पीढ़ी में नौजवान भारतीय आने को पूरी तरह तैयार है।ये नौजवान इतनी कम उम्र में परिपक्व हो गए हैं कि इनका जलवा कम से कम 15 साल तक जमने वाला है। यह तो तय हो गया ही कि भारत में शतरंज के टैलेंट का विस्फोट हो गया है और आगे आने वाला समय हमारा है।
सवाल यह है कि यह क्यों हुआ ? क्या यह संयोगवश हो गया ?
भारत में शतरंज की पृष्ठभूमि
शतरंज का खेल भारत ने ही दुनिया को दिया है। महाभारत काल से ही चौसर का उल्लेख मिलता है। वो शतरंज से मिलता जुलता था। गुप्त काल में लोकप्रिय हो गया था। छठीं शताब्दी में भारत में जन्मे इस खेल को चतुरंग के नाम से जाना जाता था। भारत से अरब पहुंचा और फिर वहां से पंद्रहवीं शताब्दी में यूरोप पहुंच गया और वहां इसका नाम चेस हो गया।
स्कूली प्रतियोगिताएं
भारत में बहुत बड़ी तादाद में नियमित रूप से शतरंज के खिलाड़ी हैं। स्थानीय स्तर के स्कूलों में प्रतियोगिताएं होती रहती हैं। 10000 से अधिक भारतीय प्रति वर्ष विभिन्न टूर्नामेंट्स में भाग लेते हैं। विश्व कप शतरंज 13 लाख से अधिक लोगों ने देखा।
सरकारें और कंपनियां
केंद्र व राज्य सरकारें सुविधाएं और वित्तीय सहायता दे रही हैं। बढ़ती लोकप्रियता के कारण अनेक कंपनियां प्रतियोगिताओं का आयोजन करती हैं और प्रशिक्षण पर भी व्यय कर रही हैं।
सभी इसे बढ़ावा दे
यह खेल ध्यान केंद्रित करने और तार्किक सोच विकसित करने में मददगार जाता है। इसीलिए माता-पिता,अध्यापक, स्कूल सभी इसे बढ़ावा देते हैं। यह भी धारणा है कि जो बच्चे शतरंज खेलते हैं उनका आई क्यू (IQ) इतना तेज हो जाता है कि वे से अपनी पढ़ाई में भी अच्छा करते हैं।
अच्छे शतरंज प्रशिक्षक
इसके अलावा भारत में बहुत अच्छे शतरंज प्रशिक्षक हैं और उनकी तादाद लगातार बढ़ रही है। शीर्ष पर आर बी रमेश, विश्वनाथन आनंद जैसे खिलाड़ी हैं जो प्रज्ञानंद, मुकेश को सलाह देते हैं।
पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद
पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद नौजवान पीढ़ी के शतरंज खिलाड़ियों के लिए मेंटर के रूप में कार्यरत हैं।भारतीय खिलाड़ियों के लिए आनंद बहुत बड़े प्रेरणा स्रोत हैं क्योंकि शतरंज के तीनों प्रारूपों में विश्व खिताब जीतने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं।
सबसे बड़ा अंतर डिजिटल क्रांति ने किया
सबसे बड़ा अंतर डिजिटल क्रांति ने किया है जिसमें महामारी के बाद बहुत तेजी से इजाफा हुआ है । अब ऑनलाइन तरीके से किसी भी समय कड़े प्रतिस्पर्धियों के विरुद्ध शतरंज खेलना संभव है।
ऑनलाइन से धन
इस तरीके से न केवल धनराशि जीती जा सकती है, बल्कि ऑनलाइन स्ट्रीमिंग करके भी धन कमाया जा सकता है।
स्मार्टफोन और सस्ते डाटा प्लान
भारत की आबादी के पास बड़ी तादाद में स्मार्टफोन है और साथ ही डाटा प्लान भी काफी सस्ते हैं।इस कारण भी शतरंज की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है।
लॉकडाउन से पुश
लॉकडाउन के दौरान खूब समय मिलने से ऑनलाइन शतरंज बहुत खेला और समझा गया।इस कारण भी शतरंज को एक पुश मिला।
छोटे शहरों के प्रतिभावान खिलाड़ी
ऐसे में भारतीय खिलाड़ियों खासकर छोटे शहर में रहने वाले खिलाड़ियों को मजबूत विरोधियों के साथ खेलने और जरूरी जूम कोचिंग की सुविधा मिली हुई है। इसके परिणाम स्वरुप छोटे शहरों के प्रतिभावान खिलाड़ी बड़े शहरों के खिलाड़ियों के साथ खेल पाते हैं।
ऑन लाइन गेम्स
सस्ते डाटा के कारण आसान इंटरनेट की उपलब्धता के कारण 50 मिलियन ऑन लाइन गेम्स रोजाना खेले जाते हैं जिसमें से बड़ा हिस्सा भारतीयों का है।
बगैर प्रशिक्षक के भी संभव
शतरंज में डिजिटलीकरण ने सूचना तक पहुंच को भी समान बनाया है और भारत को इसका फायदा मिला है । लाखों करोड़ों के मुकाबलों के आंकड़े उपलब्ध है और शतरंज के मुकाबलों को तत्काल डाउनलोड किया जा सकता है। स्मार्टफोन पर किए जाने वाले विश्लेषण भी बहुत उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं । इसके परिणामस्वरुप अगर किसी खिलाड़ी के पास वास्तविक प्रशिक्षक नहीं है तो भी वह अपने कौशल में सुधार ला सकता है।
सुलभ और आसान
लाइव शतरंज देखने वालों दर्शकों की भागीदारी में व्यापक वृद्धि हुई है। उन्नत मीडिया कवरेज और ऑन लाइन स्ट्रीमिंग ने शतरंज को सर्व सुलभ और आसान बना दिया है।आनंद के समय चीजें अलग थी लेकिन अब प्रायोजक अच्छे खिलाड़ियों की खोज में हमेशा रहते हैं।
शतरंज में भारत की विजय का डंका
कभी भारत में ही जन्मा शतरंज उत्साही प्रशंसकों और असाधारण खिलाड़ियों की बढ़ती संख्या के कारण अब भारत में शतरंज तेजी से लोकप्रिय होता जा रहा है और अब हमें वैश्विक मंच पर भी प्रसिद्धि मिल रही है।
तैयार हो जाइए, विश्व शतरंज में भारत की विजय का डंका बजने ही वाला है।