चुनाव में छाया हिंदू मुस्लिम तनाव

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चुनाव में छाया हिंदू मुस्लिम तनाव

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ये चुनाव जिस तरह हिन्दु मुस्लिम पर लड़ा गया, उसकी मैं घोर निंदा करता हूं। करोड़ों मुसलमान भी उतने ही भारतीय हैं जितने हिन्दू। मुस्लिमों को तो भारत की धरती मां मृत्यु के बाद भी अपने आगोश में स्थान देती है। कौन है आखिर इस हिन्दू मुस्लिम राजनीति का जिम्मेदार। आजाद के तुरंत बाद नेहरू ने सोचा भारत में रह गए मुसलमानों को बहुसंख्यक से कोई कष्ट न हो, वे अलग थलग अनुभव न करें, इसलिए उन्हें सरंक्षण देना शुरू किया।

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इसी कारण अंबेडकर के लाख कहने पर भी नेहरू यूनिफॉर्म सिविल कोड नहीं लाए।केवल हिन्दू कोड बिल लाए। इसी कारण अंबेडकर कांग्रेस से निकल गए। नेहरू ने हिंदू सांप्रदायिक व कट्टरवादी ताकतों से जमकर लोहा लिया, जिसकी प्रशंसा की जानी चाहिए, किन्तु मुस्लिम सांप्रदायिक व कट्टर ताकतों पर हल्की चोट करने से भी बचते रहे। सोमनाथ मंदिर के लोकार्पण में  राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को रोकने का प्रयास किया जबकि स्वयं अजमेर शरीफ में चादर चढ़ाते रहे। नेहरू मुस्लिम समाज के आवश्यक सुधारों में हाथ लगाने से बचते रहे। आगे चलकर कांग्रेस का यही रूख मुस्लिमों के तुष्टिकरण में बदल गया।

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बहुगुणा ने सरकारी धन से रोजा इफ्तार शुरू किया। फिर इसकी होड़ सी मच गई। हज सब्सिडी खूब बांटी जाने लगी। शाहबानो के समय तक यह चरम पर पहुंच गया।मनमोहन सिंह के घोर सांप्रदायिक बयान दिया  कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का होना चाहिए। इसने बहुसंख्यक समाज को आहत किया। खुलकर मुस्लिम तुष्टिकरण से बहुसंख्यक हिंदुओं में प्रतिक्रिया होना शुरू हो गई। भाजपा ने इस असंतोष को पकड़ लिया। कांग्रेस से इन्हीं गलत नीतियों के कारण भाजपा खड़ी हो गई।

कांग्रेस का मुस्लिम तुष्टिकरण भी कॉस्मेटिक था। यह उच्च मुस्लिम वर्ग, मुल्ला, मौलवियों तक सीमित था। बहुसंख्यक मुस्लिम वर्ग से वोट लेकर बेवकूफ बनाया गया अन्यथा उनकी स्थिति आज इतनी बदतर क्यों होती।

देश को हिंदू मुस्लिम राजनीति की असल जिम्मेदार कांग्रेस है। साथ ही बहुसंख्यक मुसलमानों की बदहाली का भी। भाजपा के कदम कांग्रेस के गलत व विभाजनकारी निर्णयों के प्रतिक्रिया स्वरूप उठाए गए हैं। फिर भी मैं भाजपा के इन कदमों को उचित नहीं मानता। कांग्रेस अपनी करनी के कारण मरणोन्मुखी है।

भाजपा अपने को विश्व की सबसे बड़ी राजनीति पार्टी मानती है। अब इतनी सशक्त पार्टी को हिन्दू मुस्लिम करना शोभा नहीं देता। भाजपा को प्रतिक्रियावादी और मुस्लिम विरोध की राजनीति को छोड़कर अन्य सकारात्मक मुद्दों पर चुनाव जीतना सीखना ही होगा।

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