भारत नई छलांग को तैयार
2023-24 का आर्थिक लेखा-जोखा
कहां पिछड़ रहे हैं हम ?
तेज विकास का अग्रदूत Harbinger of faster growth
क्या हैं आर्थिक संकेतक Economic Indicators
जी डी पी की रफ्तार उम्मीद से ज्यादा
2023-24 का आर्थिक लेखा-जोखा
साल 2023 की शुरुआत डरी सहमी हुई सी थी। कोरोना की आशंकाएं हवा में थी।फिर भी विश्व को सबसे ज्यादा उम्मीद भारत से ही थी। भारत ने निराश नहीं किया। कोरोना के बाद पहला ऐसा साल है जब अर्थव्यवस्था बिना किसी बाधा के अच्छी चल रही है।खराब वैश्विक हालात का घरेलू अर्थव्यस्था पर बुरा असर नहीं दिख रहा है।भारत लगभग हर क्षेत्र में अपनी मजबूत वृद्धि दर बनाए रखने में सफल रहा है।
जी डी पी (GDP)
इस वर्ष खाड़ी संकट, यूक्रेन युद्ध, इजरायल हमाज युद्ध एवं वैश्विक मंदी के बावजूद जी डी पी (GDP) में वृद्धि होना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है। साल की दूसरी तिमाही जुलाई से सितंबर 2023 तक हमारी जी डी पी 7.6% है यानी भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान 6.5 से कहीं ज्यादा। मनमोहन सिंह के पहले कार्यकाल 2004-09 के दौरान जी डी पी 6.9% और दूसरे कार्यकाल 2009-14 में जी डी पी 6.7% रही। सबसे अधिक जी डी पी मोदी के पहले कार्यकाल 2014-19 के दौरान 7.4% रही जो किसी भी पी एम के कार्यकाल में सबसे तेज थी।
पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था
दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत की विकास दर सबसे तेज है। दुनिया भर में छायी मंदी के बीच भारत के विकास का सूरज दमक रहा है। अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष का कहना है कि दुनिया के विकास में भारत 16 प्रतिशत का योगदान कर रहा है। उसने भारत को ग्लोबल ग्रोथ लीडर कहा है। सकल जी डी पी 4 ट्रिलियन के पार पहुंच की गई है। आर्थिक संकट से जूझती दुनिया में भारत अपनी हैसियत बढ़ाने में सफल रहा और वह ब्रिटेन को पीछे छोड़कर दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया।
सभी क्षेत्रों में अच्छा व्यापार
# सभी पर्यटक स्थल पूरे साल पैक रहे। होटल, रियल एस्टेट, सोना चांदी, वाहन, कपड़ा, सॉफ्टवेयर, धातु आदि सभी क्षेत्रों में अच्छा व्यापार रहा।
# वैश्विक चुनौतियों के बावजूद आर्थिक मोर्चे पर भारत का प्रदर्शन शानदार रहा।जी एस टी संग्रह में 11.9 फीसदी, वाहन क्षेत्र में 9 फीसदी, औधोगिक उत्पादन सूचकांक में 6.9 फीसदी की वृद्धि हुई है।
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जी एस टी (GST)
जी एस टी लागू कर सारे भारत को एक राष्ट्रीय बाजार में बदल दिया गया। साथ ही डिजिटलीकरण के कारण तेज वृद्धि हुई। हर महीने 1.5 लाख करोड़ से अधिक का कलेक्शन आ रहा है।
विदेशी मुद्रा भंडार
अक्टूबर 2021में विदेशी मुद्रा भंडार सर्वकालीन सर्वाधिक 642 अरब डॉलर तक पहुंच गया था।इसके बाद कुछ गिरावट आई।अब यह फिर 600 अरब डॉलर के पार पहुंच गया है।
कर संग्रह
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर संग्रह ने नई ऊंचाइयों को छुआ।राजस्व संग्रहण 20 फीसदी बढ़ गया है।
निर्यात वृद्धि
निर्यात 18-20 प्रतिशत की दर से बढ़कर 500 अरब डॉलर के पार चला गया।देश की जी डी पी 4 लाख करोड़ डॉलर के आंकड़े को भी पार कर गई है।
शेयर बाजार
हमारा शेयर बाजार नित्य नई नई ऊंचाइयां तय कर रहा है।कंपनियों के आ रहे अच्छे रिजल्ट से लग रहा है कि जल्दी आसमान छुएगा। शेयर बाजार का पूंजीकरण पहली बार 4 ट्रिलियन डॉलर के पार हो गया।
पी एल आई
हमने कॉरपोरेट टैक्स कम किए। प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव ने निवेश और आधौगिकीकरण को बहुत बढ़ावा मिल रहा है। मेक इन इंडिया कार्यक्रम से घरेलू उत्पादन में भारी वृद्धि हुई है।
जैम
जनधन,आधार और मोबाइल की त्रिवेणी के द्वारा सही व्यक्तियों के पास सीधे व चुटकियों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर खूब किया जा रहा है। डिजिटल लेन देन ने हम किसी भी देश से मीलों आगे है।
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टेक्नोलॉजी
कुछ क्षेत्रों में हमारा विश्व में दबदबा हो गया है जैसे अंतरिक्ष विज्ञान,ए आई,सॉफ्ट वेयर,वैक्सीन,मेडिसिंस आदि।
इंफ्रास्ट्रक्चर
इंफ्रास्ट्रक्चर में अभूतपूर्व तेजी से हो रहे हैं सुधार। पिछली सरकारों से दोगुनी तेजी से हाइवेज का निर्माण। एयर पोर्ट का डबल हो जाना, पोर्ट्स में तेज प्रगति आदि। अर्बन रैपिड ट्रैफिक सिस्टम तेजी से विकसित हो रहा है।
प्राइवेट सेक्टर
तमाम भारतीय कंपनियां इस वक्त दुनिया के दूसरे हिस्सों में जाकर कारोबार फैला रही हैं। वहां की कंपनियां खरीद रही हैं।
इनफ्लेशन
कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स इनफ्लेशन जून 2014 से लेकर अक्टूबर 23 के बीच औसत 5%से कम रहा है।वित्तीय स्थिरता रही है।
करेंट अकाउंट डेफिसिट
मोदी सरकार ने करेंट अकाउंट डेफिसिट 2.1% से बढ़ने नहीं दिया है जबकि 2012-13 में 4.8% था।
महंगाई
महंगाई के मोर्चे पर भी भारत का प्रदर्शन बेहतर रहा और यह अधिकतम समय आर बी आई के बैंड 4 से 6 फीसदी के बीच बनी रही।
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बेरोजगारी दर
साल 2023 में देश में बेरोजगारी दर कम करने में बड़ी सफलता मिली। एन एस एस ओ की ताजा आवधिक श्रम बाल रिपोर्ट के अनुसार देश में 15 साल से अधिक उम्र के नागरिकों की बेरोजगारी दर 3.2% दर्ज की गई और यह पिछले छह सालों में सबसे कम है।पिछले साल बेरोजगारी दर 4.1% थी। गांवों में यह और भी कम रही।
इन क्षेत्रों में मोदी सरकार रही नकाम
- इस साल रुपया कमजोर रहा।
- संगठित क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़े हैं, लेकिन असंगठित क्षेत्र में रोजगार के हालात बहुत ज्यादा नहीं सुधरे हैं।
- एस एम एम ई पूरी तरह से उबर नहीं पाए हैं।
- उच्च आय वर्ग और शहरी लोगों की आय बढ़ रही है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के हालात बहुत ज्यादा अच्छे नहीं है।
- आई टी क्षेत्र में रोजगार की कमी चिंताजनक रही।
- कृषि में उम्मीद के अनुसार बढ़त दिखाई नहीं दी।
- कुछ खाद्य पदार्थों की कीमतों में वृद्धि देखी गई।
- अमीर गरीब के बीच की खाई बढ़ रही है।
- कोरोना के बादK शेप्ड रिकवरी हो रही है यानी गरीब और गरीब होता जा रहा है।
- आई एम एफ ने भारत पर कर्ज के बारे में आगाह किया है।इसके जी डी पी से अधिक होने का खतरा है।कर्ज कितना है, से ज्यादा जरूरी है कि इस कर्ज से किया क्या जा रहा है।
अभी भी विकट समस्याएं हैं, पर तमाम चुनौतियों के बावजूद इस साल के हासिल ने आगामी समय के लिए एक मजबूत बुनियाद तैयार कर दी है।
चुनौतियां अभी भी बड़ी हैं पर इतना तो साफ है कि भारत अब नई छलांग लगाने को तैयार है।वह छलांग जिसका इंतजार वर्षों से हो रहा था।