2018 में विश्व बैंक के लॉजिस्टिक सूचकांक में भारत 44वें स्थान पर था और चीन 26वें स्थान पर। शीर्ष पांच पर जर्मनी, स्वीडन, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया व जापान थे।
धारणा
आम धारणा है कि मुख्य रूप से सड़क परिवहन पर आधारित अर्थव्यवस्था में लॉजिस्टिक लागत अधिक आती है।
बदलाव की राह पर
भारत लॉजिस्टिक में तेज बदलाव की राह पर चल पड़ा है। अनेक आमूलचूल परिवर्तन हो रहे हैं।
रेल
रेलवे की हिस्सेदारी 28 प्रतिशत से 40 प्रतिशत की जा रही है। माल ढुलाई गलियारे या डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर तेजी से पूरे किए जा रहे हैं।
जल
जल परिवहन, तटीय नौवहन और पाइप लाइनों के माध्यम से तरल व थोक माल ले जाने पर विशेष बल दिया जा रहा है। अनेक नए रूट शुरू किए जा रहे हैं।
एक्सप्रेस वे
परिवहन का बुनियादी ढांचा पहले से तैयार हो चुका है। नए एक्सप्रेस वे तेजी से पूरे किए जा रहे हैं। इनको आपस में कनेक्ट करने के लिए लिंक रोड्स बनाने का काम जोरों पर है।
जी एस टी और ई चालान
जी एस टी और ई चालान प्रणाली ने परिवहन दस्तावेजों की प्रकृति बदल दी है। अब ऑनलाइन निगरानी के कारण समय व्यर्थ नहीं होने से दक्षता बढ़ी है।
छलांग
भारत लॉजिस्टिक प्रतिस्पर्धा के लिहाज से बहुत कमजोर था।किंतु अब तेजी से हो रहे बहुमुखी बदलाव से स्थिति बदलने वाली है और लॉजिस्टिक सूचकांक ने हम छलांग लगाने जा रहे हैं।