फ्रीबीज व सब्सिडी देने की कसौटी क्या हो ?
गुड फ्रीबीज क्या है ?
फ्रीबीज व सब्सिडी देने की कसौटी
* जिससे आम जनता का स्तर सुधरे
* रोजगार बढ़ *उत्पादकता में वृद्धि हो
* उन वस्तुओं की फ्रीबीज कतई न दी जाए जो सीमित या scarce हों।
बैड फ्रीबीज
उन वस्तुओं को फ्रीबीज के रूप देने में रोक लगे
जैसे पानी क्योंकि इससे वेस्टेज बढ़ेगा। भारत में 5000 से अधिक लोग प्रतिवर्ष पानी की लड़ाई में जान गवां बैठते हैं ।
जैसे बिजली क्योंकि हम 70 परसेंट से अधिक बिजली कोयला जलाकर प्राप्त करते हैं ।इसके फ्री देने से उपभोग बढ़ेगा, जिससे प्रदूषण बढ़ेगा जो पहले से ही हमारे देश के लिए एक बड़ा संकट है क्योंकि विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में अधिकांश भारत के ही हैं।
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किनको दें फ्री बीज ?
आपको फ्रीबीज देना है तो यह सब को न देकर संविधान के नीति निर्देशक तत्वों के अनुसार गरीबों को ही दी जानी चाहिए।
टारगेटेड डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से गरीब के खाते में सीधे पैसा भेजना एक प्रभावी तरीका है।
मिल्टन फ्राइड मैन
अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार विजेता मिल्टन फ्राइड मैन ने किताब लिखी There is no such thing as free lunch. इस किताब में उन्होंने मुख्यतया दो बातों पर बल दिया।
फ्रीबीज का अर्थ है अधिक टैक्स
केजरीवाल दिल्ली में अन्य वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाकर फ्री दे रहे हैं। डीटीसी ,दिल्ली जल बोर्ड का घाटा बढ़ता जा रहा है ।टैक्स जुटाने के लिए उन्हें शराब की दुकानें गली-गली खोलने पड़ रही है।
गुड फ्रीबीज और बैड फ्रीबीज दोनों होते हैं।
अब आइए आपको कुछ अच्छे फ्री बीज के उदाहरण देता हूं।
स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत टॉयलेट
स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत सरकार टॉयलेट बनाने के लिए ₹10000 दे रही है ।इस कारण देशभर में करोड़ों टॉयलेट बनाए गए । जिसकी वजह से देश का सैनिटेशन कवरेज 50% से बढ़कर 92% हो गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बीमारियों में कमी आई, रोजगार सृजन हुआ, जीवन स्तर सुधरा, कंस्ट्रक्शन व टॉयलेट वेयर का व्यापार बढ़ा।
फ्री गैस कनेक्शन भी है गुड फ्रीबीज
पहले कोयला, लकड़ी आदि जलाते थे, जिससे प्रदूषण होता था ।प्रदूषण व वन कटान घटा । आंख, सांस से संबंधित बीमारियां कम हुई। गैस नेटवर्क बढ़ने से रोजगार बढ़े।
गरीबों को मकान
गरीबों को मकान देना भी गुड फ्रीबीज है जिससे पूरी इकोनॉमी को ड्राइव मिलता है । सभी को काम मिलता है।सीमेंट ,लकड़ी ,मिट्टी ,गिट्टी मोरंग, पेंट आदि अनेक उद्यमों को पुश मिलता है ।
सभी को फ्रीबीज व सब्सिडी देना भी संविधान सम्मत नहीं
सभी को फ्रीबीज व सब्सिडी देना भी संविधान सम्मत नहीं है और यह सरकारी धन का दुरुपयोग है। आखिरकार अमीर और मध्यवर्गीय लोगों को सब्सिडी देना क्यों उचित है।सभी महिलाओं को फ्री बस और मेट्रो राइड, सभी को तीर्थ यात्रा इसी तरह के कदम है।
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फ्रीबीज देकर दीर्घकालिक विकास
फ्रीबीज देने में सरकार को उधार लेना पड़ेगा ,फिर उस पर ब्याज देना पड़ेगा संसाधनों की कमी से विकास का प्रभावित होंगे।
फ्रीबीज देकर वोट लेने की राजनीति दीर्घकालिक विकास में घातक है। इससे कैपिटल एक्सपेंडिचर नहीं होता । अस्पताल, स्कूल, रोड, फ्लाईओवर, नहीं बनते, केवल कॉस्मेटिक परिवर्तन करके जनता को गुमराह किया जाता है और यह देश हित में नहीं है।
फ्रीबीज बांटकर राजनीतिक दलों द्वारा तुरंत लाभ लेने की नीति देश के दीर्घकालीन प्रगति में बाधक बन जाएगी।
फ्री बीज का अब सारे राजनीतिक दलों द्वारा अनुसरण शुरू
फ्री बीज और सब्सिडी का अब सारे राजनीतिक दलों ने अनुसरण करना शुरू कर दिया है । लगता नहीं कि यह जल्दी रुकेगा। खाली पीली वायदा तो ही करना है। जीत कर अगर आ गए तो सरकारी खजाने से जनता के सामने बताशे फेंक देंगे और फिर सारे सरकारी संसाधनों पर कब्जा कर लेंगे। विकास जाए भाड़ में क्योंकि उसमें तो श्रम, समय, योग्यता और संसाधन लगते हैं ।अब इतना बवाल कौन ले । इसी लुटेरी, देशद्रोही, नीच सोच के साथ अधिकांश दल गतिशील हैं।
जनता के सामने बताशे फेंककर मालपुआ खाना
हो सकता है कि तत्काल आपको नन्हा सा कोई लाभ मिल जाए ,किंतु यह देश के दीर्घकालीन हित में कतई नहीं है। यह फ्री फ्री कर आपकी आंखों में धूल झोंकना चाहते हैं ताकि सारे सरकारी संसाधनों का लाभ खुद ले सके। यह जनता के सामने बताशे फेंककर मालपुआ खाना चाहते हैं। अपने चंदे की कमाई से एक चवन्नी तक नहीं देते हैं लेकिन सरकारी धन को लुटाकर वोट हासिल करने के जुगत में हैं।
वोट के लिए गुमराह करने की साजिश
आखिरकार भारत की गरीब जनता को लालच देकर उनके वोट खरीदने का क्या अधिकार है। जैसे-जैसे हमारी जनता जागरूक होगी ,इनके बहकावे में आना छोड़ देगी पर अभी तो ये अपने क्षुद्र मंसूबों को हासिल करने में पूर्ण सफल नजर आ रहे हैं। भारत की भोली भाली जनता को सावधान रहना होगा । चुनाव आने वाले हैं गरीबों को झूठा व थोथा प्रलोभन देकर बहला, फुसला,बरगला कर उनके वोट के लिए गुमराह करने की साजिश करेंगे।
सावधान! सारे मदारी निकल पड़े
सुप्रीम कोर्ट आफ इंडिया और चुनाव आयोग को फ्रीबीज व सब्सिडी की घोषणाओं पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए क्योंकि सारे मदारी जनता को झांसा देकर अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं। एक दूसरे से ज्यादा फ्रीबीज और सब्सिडी का वायदा करने की होड़ मच गई है।