पीपल क्यों है देव वृक्ष ?
सनातन धर्म में पीपल वृक्षों का राजा
सनातन धर्म पीपल को वृक्षों का राजा माना जाता है।
आइए जानते हैं कि हिंदू धर्म में क्यों पीपल पूजना शुभ और लाभकारी माना जाता है ।
वानस्पतिक भाषा में पीपल को फाइकस रिलीजियोसा के नाम से जाना जाता है। लगभग 100 फीट लंबा होता है। हृदय के आकार की पत्तियां होती हैं।छोटे आकार के फल लगते हैं, जो पकने के बाद हरे से बैंगनी रंग में बदल जाते हैं। इसकी छाया सर्दी में गर्मी प्रदान करती है और गर्मी में शीतलता प्रदान करती है।
अक्षय वृक्ष क्यों ?
पीपल को अक्षय वृक्ष कहा जाता है क्योंकि ये पेड़ कभी पत्ता विहीन नहीं होता। एक साथ पतझड़ नहीं आता। पत्ते झड़ते रहते और नए आते रहते हैं।पीपल के इस वृक्ष की इस खूबी के कारण इसे जीवन मृत्यु चक्र का धोतक माना जाता है।
प्राचीन समय में ऋषि मुनि पीपल के वृक्ष के नीचे ही तप या धार्मिक अनुष्ठान करते थे ।इसके पीछे माना जाता है कि पीपल के पेड़ में बैठकर यज्ञ या अनुष्ठान करने का फल अक्षय होता है।
देवताओं का वास
पीपल को मूर्तिमान विष्णु के रूप में पूजा जाता है।
स्कंद पुराण के अनुसार इसमें सभी देवताओं का वास माना जाता है। ब्रह्मा (जड़) विष्णु (तना) एवं शिव (पत्ती )का निवास माना जाता है जो त्रिमूर्ति का प्रतीक है । फलों में सारे देवता निवास करते हैं। इसीलिए मंदिर परिसर में इसे अवश्य लगाया जाता है । पीपल के पत्तों से शुभ काम में वंदनवार भी बनाए जाते हैं।
कृष्ण से संबंधित
कृष्ण से संबंधित है। गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं ,’हे पार्थ, वृक्षों में मैं पीपल हूं । ‘इस वृक्ष के नीचे ही कृष्ण की मृत्यु हुई थी। जिसके पश्चात कलयुग का आरंभ हुआ था ।
गौतम बुद्ध से संबंधित
बोधि वृक्ष (बोधगया बिहार में स्थित) के नीचे गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था ।
कालसर्प योग से मुक्ति
लाल रंग का धागा वृक्ष के चारों ओर लपेटकर पूजा की जाती है और परिक्रमा से कालसर्प योग से मुक्ति मिलती है ।
शनि और ढैय्या से छुटकारा
शनिवार ने दिन पीपल के पेड़ में जल चढ़ाने से शनि की साढ़े साती और ढैय्या से भी छुटकारा मिल जाता है।
दरिद्रता व दुर्भाग्य का नाश
परिक्रमा जल अर्पण करने से दरिद्रता व दुर्भाग्य का नाश होता है । इसके दर्शन पूजन से दीर्घायु व समृद्धि की प्राप्ति होती है।
पितरों को मोक्ष
मान्यता है कि पीपल लगाने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है । इसे काटना अशुभ माना जाता है।
औषधीय मूल्य
औषधि गुण से भरपूर होते हैं।
24 घंटे ऑक्सीजन
अधिकांश वृक्ष रात में कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं । इसलिए रात में वृक्ष के निकट नहीं सोना चाहिए । पीपल ऐसा अनोखा पेड़ है जो 24 घंटे ऑक्सीजन ही देता है और आरोग्यवर्धक वातावरण के निर्माण में सहायक है।
आयुर्वेद
आयुर्वेद के अनुसार पीपल से कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। इसमें मौजूद गुण सांस, दांत, सर्दी, जुकाम, खुजली, नकशीर आदि परेशानियों को दूर करने में कारगर है। पीपल पत्ते, फल,छाल सभी का औषधीय मूल्य है।
ज्योतिषी गुण
पीपल के अंदर कई ज्योतिषी गुण मिलते हैं ।इसे ब्रहस्पति ग्रह से जोड़ा जाता है जो सबसे लाभ देने वाला ग्रह माना जाता है।अतः पीपल के पूजन से आय का प्रभाव बढ़ता है।
सूर्योदय के पहले और सूर्योदय के बाद
सूर्योदय के पहले पीपल पर दरिद्रता का अधिकार होता है और सूर्योदय के बाद लक्ष्मी जी का। अतैव सूर्योदय के बात ही पूजा करनी चाहिए।
रविवार के दिन
रविवार के दिन पीपल के पास जाना अपशकुन माना जाता है। पीपल काटना अशुभ माना जाता है पर अगर काटना ही पड़े,तब रविवार के दिन ही काटना चाहिए।
घर से सुरक्षित दूरी पर
पीपल के पेड़ को हमेशा घर से सुरक्षित दूरी पर लगाया जाना चाहिए,क्योंकि पीपल पेड़ की छाया घर पर पड़ने को वास्तु शास्त्र में अपशकुन माना जाता है।
अंतिम संस्कार के पश्चात
अंतिम संस्कार के पश्चात अस्थियों को एक मटकी में एकत्रित कर लाल कपड़े में बांधने के पश्चात उस मटकी को पीपल पेड़ से टांगने की प्रथा है। उन हस्तियों को घर नहीं लेकर जाया जाता है, इसलिए उन्हें पेड़ से बांधा जाता है।