काल तुझसे होड़ है मेरी (भाग दो)

Date:

काल तुझसे होड़ है मेरी (भाग दो)

केवल सरकार पर निर्भरता ठीक नहीं

हम सब कुछ सरकार पर डालने वाले समाज हैं जो कि एक बड़ी विडंबना है और विकास में बाधक भी। हम उनसे आस व अपेक्षा कर रहे हैं जो कि एफिशिएंट व प्रोएक्टिव नहीं हैं और न ही उनकी सोच सकारात्मक है। उनके नीचे की जमीन हमेशा हिलती रहती है। सामान्यतया सरकारी लोगों में से अधिकांश उतना ही काम करना चाहते हैं जिससे उनकी नौकरी बची रहे या कुछ अतिरिक्त मिल रहा हो। क्या सरकार किसी बड़े बदलाव का वाहक बन सकती है?

काल तुझसे होड़ है मेरी Part 2 Sanjay Blogger (1))img

हमारी भी जिम्मेदारी

समाज को इसकी पहल करनी होगी, वही आधारभूत और टिकाऊ होगी। हम अपने मोहल्ले के नन्हें पार्क  के लिए भी सोचते हैं कि सरकार उसे मेंटेन करे जबकि हम रोज उसका उपयोग करते हैं। प्रदूषण, पर्यावरण, वृक्षारोपण, हरियाली आदि हम क्यों केवल सरकार पर ही आश्रित रहें ? आखिरकार पर्यावरण को असंतुलित करने में हम भी तो भागीदार हैं (ए सी, फ्रिज, कम्प्यूटर आदि इलेक्ट्रिकल व इलेक्ट्रानिक्स गैजेट्स के द्वारा)।

काल तुझसे होड़ है मेरी Part 2 Sanjay Blogger (2))img

अपने दम पर

इस मामले में आई टी वाले बच्चे अच्छे हैं वो अपने रोजगार के लिए सरकार का मुंह नहीं देख रहे हैं। हमें जनता की सोच में परिवर्तन का प्रयास करना होगा ताकि वो सरकार पर ही निर्भर न बनी रहे बल्कि अपने दम पर भी कुछ करे। आज हमारा देश आई टी, फार्मा, स्पेसियल्‍टी केमिकल्स आदि क्षेत्रों में विश्व में अग्रणी है और सबसे ज्यादा निर्यात से आय यहीं से आ रही है और इन क्षेत्रों में सरकार नहीं है।

धन से अधिक संकल्प जरूरी

एक बात बतानी है, हमारे नौजवान कहते हैं कि सरकारी नौकरी के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं है क्योंकि हमारे पास धन नहीं है। मेरा निजी अनुभव है बिजनेस के लिए धन से अधिक सोच, संकल्प, श्रम और जज्बे की आवश्यकता होती है।

काल तुझसे होड़ है मेरी Part 2 Sanjay Blogger (3))img

कम्फर्ट जोन से बाहर निकलो

असल में हम चाहते कि पहले दिन से हमें ए सी ऑफिस में pen pushing job मिल जाये। संघर्ष से बचना चाहते हैं। सुरक्षित दायरे से बाहर निकलने से डरते हैं। अकर्मण्य रहकर आज तक दुनिया में कोई बड़ा नहीं बना है।

No great person with easy past.

सही नज़र और ज़िगर

 

असल में हम घर से निकलने से पहले सारे सिग्नल हरे होने का इंतजार करते हैं। कहीं मैं घोड़ा कुदाऊं कहीं मैं गिर न जाऊं ? परफेक्ट परिस्थितियां कभी नहीं मिलेगी। इसलिए उनका इंतजार बेवकूफी है।  हम काम शुरू होने के पहले ही सोचते हैं कि हमें अपनी मंजिल नजर आ जाये जबकि ऐसा होता नहीं है, जितना आगे दिखाई देता है, उतना आगे जाइए फिर और आपको आगे दिखाई देगा। आगे बढ़ते रहेंगे, तब मजिल करीब आती जाएगी।

सही समय और अवसर किसी न किसी रूप में हमेशा आस-पास ही रहता है, बस सही नजर और जिगर चाहिए। अवसर बार बार नहीं आता, न ही प्रतीक्षा करता है, वह बर्फ के समान होता है इसलिए जब दिखाई दे झपट कर दोनों हाथ से पकड़ लीजिए। समस्या देखकर बिल्कुल न घबराएं, अक्‍सर अवसर समस्या की चादर ओढ़कर कर ही आता है। कई बार अवसर होते नहीं हैं, उनका निर्माण करना पड़ता है।

अंजाम उसके हाथ है आगाज करके देख

भीगे हुए परों से ही परवाज करके देख

 

काल तुझसे होड़ है मेरी Part 2 Sanjay Blogger (4))img

नो रिस्क नो गेन

कभी किसी को सफलता खतरा उठाए बिना मिली है क्या? सबसे बड़ा रिस्क कोई रिस्क न लेना है। जिंदगी में सबसे बड़ा खतरा यह होता है जब आप बहुत ज्यादा सतर्कता बरतने लगे। लंबे समय की खुशी के लिए क्या थोड़ी देर का दर्द बुरा है क्या? बॉडी बनानी है तो push up स्वयं लगाने होंगे, कोई और नहीं लगायेगा आपके बदले।

ये भी पढ़े : ऐ काल ! तुझसे होड़ है मेरी

आप पर्याप्त योग्य हैं

कभी कभी लगता था कि मेरी योग्यता में कुछ कमी है लेकिन आज सफल होने के बाद लगता है कि मैं कितना गलत था। आप पल भर इस पर संदेह न करें, जितनी आवश्कता है उससे अधिक योग्य हैं आप।

आप चलो तो सही

हमें बिजनेस शुरू करना चाहिए, साधन रास्ते में अपने आप मिलते जायेंगे। आप चलो तो सही रास्ते अपने आप बनते जायेंगे। पहली सीढ़ी पर खड़े होकर छत देखने की कोशिश न करें। जो शुरू में कठिन और बेतुका लगे वही काम का है। आपकी आज की कठिनाइयां कल की कहानियां बन सकती हैं।

काल तुझसे होड़ है मेरी Part 2 Sanjay Blogger (5))img

स्थिति बदल रही है

माना कि पश्चिम की तरह हमारे यहां श्रम का महत्व नहीं है, फिर भी धीरे धीरे स्थिति बदल रही है। नई पीढ़ी को सरकार को ओर ताकना छोड़कर अपने पैरों पर खड़ा होना होगा,तभी हमारा देश विश्व में अग्रणी बन सकेगा।

Push yourself youngsters

 because no one else is going to do it for you

बदलाव को ही स्थाई मानें

अकेले चलने से डरिए मत क्योंकि जिनमें अकेले चलने का हौसला होता है, एक दिन उनके पीछे काफिला होता है। कुछ भाग्य का रोना रोकर बैठ जाते हैं जबकि भाग्य बार बार हमारे पुरूषार्थ की परीक्षा लेता है और इसे बदला भी जा सकता है। जब जरा सा प्रतिकूल समय आता है तब हम जल्दी घबरा जाते हैं, जीवन है ऊपर नीचे तो होगा ही। अच्छे दिनों में बौराएं नहीं और दुर्दिन में बौखलाए नहीं। बदलाव छोड़कर जीवन में और कुछ भी स्थायी नहीं है। अगर केवल आसानियां हों तो जिंदगी दुश्‍वार हो जाये।

धन अच्छे कार्य का बाइ प्रोडक्ट

एक और कमी हमें दिखी कि हम पैसे पीछे दौड़ लगाते रहते हैं जबकि यदि हम काम के पीछे दौड़े तब पैसा आयेगा। पैसा अच्‍छे कार्य का बाय प्रोडक्‍ट है। हमें हर अच्छे काम को पूरे उमंग व जोश से करना चाहिए। जान लगा दो या जाने दो ।

काल तुझसे होड़ है मेरी Part 2 Sanjay Blogger (6))img

सीखते रहिए

अगर आप नयी चीजें सीखना बंद कर देंगें तो आप बड़ा काम अच्छी तरह से नहीं कर पाएंगें। जिज्ञासा और सीखने की ललक ग़ज़ब की होनी चाहिए।

If you are not upgrading, you are downgrading.

कितना जानें उसका उतना फर्क़ नहीं पड़ता कितना क्रियान्वित किया, उसका फर्क़ पड़ता है.पर प्लानिंग बहुत जरूरी है, प्लानिंग में लगाया गया एक मिनट क्रियान्‍वयन के दस मिनट बचाता है.

अपने रोड़े आप स्वयं हैं

कई बार हम अपने मन की नकारात्मकता को टांगने के लिए हुक ढूँढते रहते हैं। अपनी असफलता का ठीकरा दूसरों पर फोड़कर हम राहत महसूस करते हैं।

काल तुझसे होड़ है मेरी Part 2 Sanjay Blogger (7))img

कठोर परिश्रम अनिवार्य

बहुत कम लोगों के पास Midas Touch होता है यानी जिसे छू लेते हैं वह सोना हो जाता है। हम सबको कठोर परिश्रम करना पड़ता है। किसान जैसे खेत में एक साथ ढ़ेर सारे बीज डालता है जो न निकले उसकी परवाह नहीं करता, जो निकल आए उनका समय से पानी, खाद, दवा देकर उनका सतत ध्यान रखता है। फसल पकने का धैर्य पूर्वक इंतजार करता है, फिर उसे लाभ मिलता है।

सफलता कड़ी मेहनत के बाद ही

अधिकांश लोग सफ़लता को जूस की मशीन समझते हैं कि इधर से फल डालें और उधर से जूस निकल आए और वो पीकर निकल लें। यह नहीं सोचते कि जिस फल का जूस वो पी रहे हैं, उसे पैदा करने में बागवान का कितना समय, श्रम, धन लगा है।

काल तुझसे होड़ है मेरी Part 2 Sanjay Blogger (8))img

मेरा यही आज कल की नींव बनेगा

हम संसाधन कम रहने पर बहुत बड़ा प्लान बना लेते हैं। अपने प्लान का गाना भी गाने लगते हैं जबकि काम शब्दों पर चढ़कर बोलता है। जीत रोज़ नहीं होती पर हर क्षण हम इस ओर चलें। बहानों को त्याग कर हर पल को श्रम से भर दें क्योंकि मेरा यही आज तो मेरा कल बनायेगा।

हजारों उलझने हैं राहों में और कोशिशें बेहिसाब

इसी का नाम है जिंदगी चलते रहिये जनाब

अब अवसर अधिक व आसान

मेरे छात्र जीवन में मेरा प्रतियोगी प्रकाशन पूंजी न होने और वितरण कार्य अत्यधिक कठिन होने के कारण असफल हो गया था। अब आवश्यक पूंजी है और वितरण के लिए मार्केट प्लेस और सोशल मीडिया प्लेटफार्म भी।

काल तुझसे होड़ है मेरी Part 2 Sanjay Blogger (9))img

होल्ड फास्ट टू ड्रीम्स

बहुत पहले बचपन में पता नहीं कब, कहां से अंग्रेजी की एक कविता इतनी अच्छी लगी कि याद हो गई। नेट आने के बाद जाना कि यह अमेरिकी लेखक Langston Hughes की प्रसिद्ध पोयम है।

Hold fast to dreams

For if the dreams die

Life is a broken winged bird

That can not fly.

Hold fast to dreams

For when dreams go

Life is a barren field

Frozen with snow.

इन पंक्तियों ने मुझे अपने शौक को पूरा करने और सपनों के पीछे भागने प्रेरणा शक्ति दी। किसी सेंटा का इंतजार कभी मत कीजिए। अपना सेंटा आप बनिये।

अंधी दौड़ से बचकर सदकार्य भी

अपनी इस यात्रा में मुझे इस बात का संतोष है कि मैंने व्यावसायिकता व अर्थ के पीछे अंधी दौड़ नहीं लगाई। जब भी थोड़ी सी पूंजी एकत्रित हुई, हमने उससे सदैव अच्छे कार्य करने की कोशिश की। एक कहावत है।

काल तुझसे होड़ है मेरी Part 2 Sanjay Blogger (10))img

जैसा बोओगे, वैसा ही काटोगे।

बोया पेड़ बबूल का आम कहां से होए।

इसीलिए मैंने सदैव अच्छा बोने का प्रयास किया। मैं अपनी कमाई का एक हिस्सा सद् कार्यों में लगाता रहा।

घाटे पानी सब भरै, औघट भरे न कोय।

औघट घाट कबीर का, भरे सो निर्मल होय ।।

काल तुझसे होड़ है मेरी Part 2 Sanjay Blogger (11))img

अभी और संघर्ष बाकी है

हमें किसी से कोई शिकायत नहीं है। सबका धन्यवाद है। जो मिला है उसी पर नजर है, आधा गिलास भरा है। आनन्द सदा वर्तमान में ही है भविष्य में नहीं।

जिंदगी की असली उड़ान अभी बाकी है

जिंदगी के कई और इम्तिहान अभी बाकी है

अभी तो नापी है मुठ्ठी भर ज़मीन हमने

आगे सारा आसमान अभी बाकी है।

आइए, संघर्षों  की इस तीर्थ यात्रा में आप सब भी सहयात्री बनिए और जहां भी, जैसे भी रहिए राष्ट्र निर्माण में अपना हर संभव योगदान देते रहिए।

जीवन एक अनवरत यात्रा है, रुकना नहीं है, चलना ही जिंदगी है, बहता पानी बनना है।

इन्हीं मंगलकामनाओं के साथ आपका अपना

/// संजय ///

Sanjay Blogger Website Pages)img

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

अयोध्या हार पर एक विवेचना

अयोध्या हार पर एक विवेचना जरा किसी भी पार्टी हित के ऊपर उठ कर सोचिए। क्या अयोध्या बी जे...

भारतीय समाज में उपहार देने की परंपरा

भारतीय समाज में उपहार देने की परंपरा उपहार देने की परंपरा सदियों से भारतीय समाज में उपहार देने की परंपरा...

परंपराओं और आस्थाओं का त्यौहार छठ महापर्व

परंपराओं और आस्थाओं का त्यौहार छठ महापर्व चार दिनों तक चलने वाला त्योहार छठ पूजा पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और...

क्यों अनूठा है छठ महापर्व

क्यों अनूठा है छठ महापर्व ? वैदिक काल से लोकप्रिय *             छठ महापर्व वैदिक काल से ही चला रहा है।...